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मशहूर वैज्ञानिक का दावा, 80 फीसदी नौकरियां तो AI खत्म कर देंगी

मशहूर वैज्ञानिक का दावा, 80 फीसदी नौकरियां तो AI खत्म कर देंगी

DW

, बुधवार, 10 मई 2023 (08:06 IST)
artificial intelligence : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिस तेजी से बढ़ रही है, कुछ ही समय में बड़ी तादाद में इंसानी काम एआई के जरिए होने लगेंगे। यह अच्छी बात है या बुरी? जानिए एक मशहूर वैज्ञानिक और एआई गुरु की राय।
 
ब्राजीलियन मूल के अमेरिकी शोधकर्ता बेन गोएर्त्सेल ने दावा किया है आने वाले कुछ ही सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान से 80 प्रतिशत तक नौकरियां ले सकती है। हालांकि उन्होंने कहा है कि यह अच्छी बात होगी। गोएर्त्सेल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में बड़ा नाम हैं और उन्हें एआई गुरु भी कहा जाता है।
 
56 साल के गणितज्ञ और एक मशहूर रोबोटविज्ञानी गोएर्त्सेल शोध संस्थान ‘सिंग्युलैरिटीएनईटी' के संस्थापक हैं। उन्होंने यह संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसान जैसी समझ (एजीआई) विकसित करने के लिए शोध करने के वास्ते स्थापित किया था।
 
पिछले हफ्ते रियो डे जनेरो में हुए दुनिया के सबसे बड़े सालाना तकनीकी सम्मेलन में गोएर्त्सेल ने समाचार एजेंसी एएफपी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि एजीआई कुछ ही साल दूर है। उन्होंने हाल के दिनों में एआई पर शोध को सीमित करने की कोशिशों की भी निंदा की।
 
कुछ साल लगेंगे
गोएर्त्सेल ने कहा, "अगर हम चाहते हैं कि मशीनें इंसानों जैसी बुद्धिमान हो जाएं और वैसे काम भी कर सकें, जिनके बारे में वे पहले से नहीं जानतीं, तो उन्हें अपनी ट्रेनिंग और प्रोग्रामिंग से ज्यादा बड़े कदम उठाने होंगे। अभी हम वहां नहीं पहुंचे हैं लेकिन ऐसा मानने के कारण मौजूद हैं कि हमें वहां तक पहुंचने में कुछ दशक नहीं बल्कि कुछ साल लगेंगे।”
 
हाल ही में चैटजीपीटी के आने के बाद एआई के खतरों पर विमर्श बढ़ा है। उद्योगपति इलॉन मस्क और गूगल प्रमुख तक ने एआई को लेकर चेतावनी दी हैं। एआई के जनक कहे जाने वाले गूगल के वैज्ञानिक ने तो इसके विरोध में नौकरी ही छोड़ दी। लेकिन गोएर्त्सेल इन खतरों के आधार पर एआई के विकास को रोकने के हिमायती नहीं हैं।

वह कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि इसे खतरनाक महामानवीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहकर हमें इसे रोक देना चाहिए। ये बहुत दिलचस्प सिस्टम हैं लेकिन ये इंसानी बुद्धिमत्ता जैसी समझ हासिल करने के काबिल नहीं हैं क्योंकि वे एक साथ कई स्तरों पर तार्किक विश्लेषण नहीं कर सकते, जो आपको चीजों का विकास करने के लिए चाहिए। जैसे कि आपको वैज्ञानिक शोध के लिए चाहिए। इसलिए वे अपने दायरे से बाहर जाकर नई खतरनाक चीजें विकसित नहीं कर सकते।”
 
खतरों से कितना डरें?
गोएर्त्सेल मानते हैं कि एआई दुष्प्रचार या गलत सूचनाओं का प्रसार कर सकता है लेकिन इस आधार पर वे इसे रोक देने पर सहमत नहीं हैं। वह कहते हैं, "यह बहुत अजीब बात है। तो हमने इंटरनेट को बैन क्यों नहीं किया? इंटरनेट भी तो ऐसा ही करता है। यह इंसानों से कहीं ज्यादा सूचनाएं देता है और गलत बातों और दुष्प्रचार का माध्यम बनता है।”
 
गोएर्त्सेल कहते हैं कि समाज को आजाद होना चाहिए और जैसे इंटरनेट को बैन नहीं किया गया है, एआई पर भी रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। हालांकि वह कहते हैं कि आने वाले सालों में बड़ी संख्या में इंसानी काम एआई कर रहा होगा। वह कहते हैं, "आप बिना एजीआई के 80 फीसदी इंसानी कामों को तो खत्म ही समझिए। चैटजीपीटी जैसा अभी है, उससे नहीं लेकिन अगले कुछ सालों में विकसित होने वाले सिस्टम के जरिए। लेकिन यह कोई खतरा नहीं है। यह एक फायदा है। लोग रोजी-रोटी कमाने के बजाय कुछ बेहतर काम कर पाएंगे। जो भी काम कागज पर होता है, वो सब ऑटोमेट हो जाना चाहिए।”
 
गोएर्त्सेल कहते हैं कि समस्या ऑटोमेशन पूरा हो जाने तक है क्योंकि एक के बाद एक करके नौकरियां खत्म हो जाएंगी और उससे जुड़ीं सामाजिक समस्याएं सुलझाना एक बड़ी चुनौती होगी। फिर भी, गोएर्त्सेल एआई की अच्छाइयों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वह कहते हैं, "एआई बहुत अच्छे काम कर सकती है। जैसे कि ग्रेस (एक रोबोटिक नर्स) है।
 
अमेरिका में कितने सारे बजुर्ग अपने घरों में अकेले बैठे रहते हैं। वे स्वस्थ तो हैं और उनके पास सुविधाएं भी हैं लेकिन उन्हें मानसिक और भावनात्मक मदद चाहिए। तो अगर आप ह्यूमनोएड तैयार करें, तो इस चुनौती से निपट सकते हैं। वे आपसे बात करेंगे। आपके सवालों के जवाब देंगे। आपकी कहानियां सुनेंगे। आपको बच्चों से बात करवा देंगे या आपके लिए कुछ ऑनलाइन ऑर्डर कर देंगे। इस तरह आप लोगों की जिंदगियां सुधार पाएंगे।”
वीके/एए (एएफपी)

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