Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

FIFA World Cup 2022: कतर ने माना, विश्व कप की तैयारी में 400-500 मजदूरों की हुई मौत

FIFA World Cup 2022: कतर ने माना, विश्व कप की तैयारी में 400-500 मजदूरों की हुई मौत

DW

, बुधवार, 30 नवंबर 2022 (08:53 IST)
-एनआर/वीके (एपी)
 
कतर फुटबॉल विश्व कप के आयोजन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहली बार माना है कि टूर्नामेंट के आयोजन में 400-500 के बीच मजदूरों की मौत हुई है। अब तक कतर की तरफ से जो आंकड़े दिए जा रहे थे, उससे ये बहुत ज्यादा हैं। इनमें केवल उन मजदूरों के मौत की संख्या का जिक्र है, जो निर्माण और स्टेडियमों के मरम्मत और साज-सज्जा में जुटे हुए थे।
 
कतर की सुप्रीम कमेटी फॉर डिलीवरी एंड लेगेसी के महासचिव हस अल थावाडी ब्रिटिश पत्रकार पियर्स मॉर्गन को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। इस इंटरव्यू का कुछ हिस्सा मॉर्गन ने इंटरनेट पर डाला है। इसमें मॉर्गन को यह पूछते देखा जा सका सकता है कि आप क्या सोचते हैं, उन मजदूरों की एक ईमानदार, वास्तविक कुल संख्या क्या है जिनकी विश्व कप के लिए काम करने के कारण मौत हुई? इसके जवाब में थवाडी ने कहा कि अनुमान 400 के आसपास का है 400 से 500 के बीच, मुझे ठीक संख्या नहीं पता लेकिन यह वो संख्या है जिसके बारे में चर्चा हो रही है।
 
इतनी बड़ी संख्या पहले कभी नहीं मानी
 
हालांकि कतर के अधिकारियों ने इससे पहले सार्वजनिक तौर पर कभी इस संख्या का जिक्र नहीं किया। सुप्रीम कमेटी की 2014 से 2021 के आखिर तक के लिए केवल उन मजदूरों के मौत की संख्या का जिक्र है, जो निर्माण और स्टेडियमों के मरम्मत और साज-सज्जा में जुटे हुए थे। इन्हीं स्टेडियमों में ये मैच खेले जा रहे हैं।
 
इनमें अब तक जो कुल संख्या बताई गई थी वो 40 थी। इसमें 37 लोग ऐसे थे जिन्हें कतर नॉनवर्क इंसिडेंट्स कहता है जैसे कि दिल का दौरा पड़ना आदि, जबकि 3 लोगों की मौत काम करने की जगह पर किसी घटना के दौरान हुई थी। इसी तरह एक रिपोर्ट में 1 मजदूर की मौत कोरोनावायरस की महामारी से होने की बात भी कही गई है।
 
अल थावाडी ने भी इंटरव्यू के दौरान उन संख्याओं की तरफ इशारा किया है, जब वो केवल सिर्फ स्टेडियम में हुए काम के बारे में बात कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने टूर्नामेंट के पूरे बुनियादी ढांचे के निर्माण में 400-500 के बीच लोगों के मौत की बात कही। बाद में सुप्रीम कमेटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अल थावाडी, 2014 से 2020 के बीच पूरे देश में सभी तरह के कामों के दौरान हुई मौत की बात कर रहे थे जिसमें सभी क्षेत्र और सभी देशों के लोग शामिल हैं।
 
रोजगार के सिस्टम में सुधार
 
2010 में जब फीफा ने कतर को फुटबॉल की मेजबानी सौंपने का ऐलान किया तभी से कतर ने देश के रोजगार सिस्टम में बदलाव करने की शुरुआत कर दी। इन बदलावों में एक है तथाकथित कफाला सिस्टम को खत्म करना। इसमें मजदूर एक ही कंपनी से बंध जाते हैं और उनकी नौकरी छोड़ने का मतलब है देश छोड़ना।
 
कतर ने 100 कतरी रियाल यानी 275 डॉलर की न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था भी की है, उनके लिए भोजन और आवास भत्ता भी देना जरूरी किया है जिन्हें उनकी कंपनियों से सीधे यह नहीं मिल रहा है। कतर ने मौत से बचाने के लिए मजदूरों की सुरक्षा के लिए भी कुछ नियम बनाए हैं। अल थावाडी ने कहा कि एक मौत कई लोगों के लिए मौत है, यह बिलकुल साफ है।
 
मानवाधिकार का मसला
 
मानवाधिकार कार्यकर्ता दोहा की सरकार से और सुधारों की मांग कर रहे हैं। खासतौर से मजदूरों को समय पर वेतन देना और उन्हें शोषण करने वाली कंपनियों से बचाना। अल थवाडा के बयान ने सरकार और कारोबारियों की ओर से मजदूरों के घायल होने या उनकी मौत के बारे में जो आंकड़े दिए हैं, उसे लेकर सवालों को दोबारा जिंदा कर दिया है।
 
मध्य-पूर्व में प्रवासी मजदूरों के हितों की बात करने वाले लंदन के फेयरस्क्वेयर से जुड़े निकोलस मैक्गीहन का कहना है कि यह तो मजदूरों की मौत के मुद्दे पर कतर की अपारदर्शिता का एक ताजा उदाहरण भर है। हमें पक्के आंकड़ों की जरूरत है जिन्हें जांच के जरिये जाना जाए, सिर्फ मीडिया में इंटरव्यू के जरिये नहीं।
 
लेबर कंसल्टेंसी फर्म इक्विडेम रिसर्च निर्माण क्षेत्र में मजदूरों की मौत के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है। फर्म के कार्यकारी निदेशक मुस्तफा कादरी का भी कहना है कि वह अल थवाडी के बयान से हैरान हैं। कादरी ने कहा कि उनके लिए आना और कहना कि 'सैकड़ों हैं, हैरान करने वाला है। उन्हें कुछ पता ही नहीं है कि क्या हो रहा है?'
 
कतर में विश्व कप के आयोजनों के दौरान मजदूरों की दुर्दशा को लेकर कई तरह की रिपोर्टें आई हैं और कतर इन्हें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की बात कहता आया है। कतर में प्रवासी मजदूरों ने स्टेडियम, मेट्रो लाइन और टूर्नामेंट के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा तैयार किया जिस पर करीब 200 अरब डॉलर खर्च किए गए। खाड़ी देश में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के मजदूरों की भरमार है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

चीन और भारत के बीच एक और पेच फंसा, कनाडा भी हुआ सतर्क