Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

चिंता का सबब बना ओमिक्रोन का नया वेरियंट बीए.2.75

चिंता का सबब बना ओमिक्रोन का नया वेरियंट बीए.2.75

DW

, रविवार, 10 जुलाई 2022 (07:55 IST)
विशेषज्ञों ने कोरोनावायरस के एक नये सबवेरियंट पर खास ध्यान देने को कहा है। ये ओमिक्रॉन बीए।2 वेरियंट से निकला सबवेरियंट बीए.2.75 है, जो भारत में बहुत तेजी से फैल रहा है। शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी इसे नहीं रोक पाती है।
 
नया सबवेरिएंट पहले भारत में मिला था जहां ये कम से कम दो राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में फैल चुका है। रिसर्चर इसे दूसरी पीढ़ी का वेरिएंट बता रहे हैं क्योंकि ये ओमिक्रॉन के बीए.2 सबवेरिएंट से विकसित हुआ है।
 
पूरी दुनिया में इस सबवेरिएंट से संक्रमित मामलों की संख्या अभी कम है, इसीलिए इसकी सीक्वेंसिंग को लेकर ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही है।
 
ऑस्ट्रियन एकेडमी ऑफ साइंसेज में आनुवंशिकी विज्ञानी और मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट उलरिष एलिंग ने डीडब्ल्यू को बताया कि, "इस वेरिएंट के बारे में अभी बहुत कम डाटा उपलब्ध है। लेकिन इसके दो मामले ऐसे निकल कर आए हैं जिनकी बदौलत हमारा ध्यान इसकी ओर गया है।"
 
बदले हुए बहुत से रूपों का मतलब प्रतिरोध में कमी
अपने मूल स्ट्रेन बीए.2 के मुकाबले इस नये सबवेरिएंट में आठ अतिरिक्त स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन यानी उत्परिवर्तन संभव है। मतलब कि यह आठ रूपों में विकसित हो सकता है। इन म्यूटेशनों की लोकेशन ने वैज्ञानिकों को चिंता मे डाल दिया है क्योंकि उसके चलते यह बीए.2 के खिलाफ विकसित हो चुके प्रतिरोध को भी छिन्नभिन्न कर सकता है। 
 
दूसरे शब्दों में जिसे बीए.2 ओमिक्रॉन का संक्रमण हुआ है, वो अगर बीए.2.75 के संपर्क में आता है तो उसे दोबारा कोविड हो सकता है।
 
डॉ एलिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि विशेषज्ञ इस नये सबवेरिएंट के बारे में पक्के तौर पर अभी कुछ नहीं जानते हैं। हालांकि बीए.2 की लहर झेल चुके भारत जैसे देश के तीन अलग अलग इलाको में इस नये सबवेरिएंट का फैलना इस बात का एक संकेत है कि वो प्रतिरोध को तोड़ने की क्षमता रखता है।
 
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में संक्रामक रोग विभाग में वाइरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक मानते हैं कि बीए.2.75 के बहुत सारे रूप हैं और उसका भौगोलिक फैलाव भी विस्तृत है लिहाजा उस पर बहुत करीब से नजर रखे जाने की जरूरत है। पीकॉक ने ट्वीटर पर यह बात कही है। 
 
दर्ज ना होने वाले कोविड मामलों में बढ़ोत्तरी
एलिंग के मुताबिक पूरी दुनिया में बीए.2.75 के फिलहाल करीब 70 मामले ही दर्ज हैं। ऑस्ट्रिया में एलिंग संघीय स्तर पर वायरस सीक्वेंसिंग के प्रभारी हैं लेकिन वो इस ओर भी ध्यान दिलाते है कि कई देशों में परीक्षणों में बहुत बड़े स्तर में कमी आई है। इसकी वजह से सीक्वेंसिंग का काम भी प्रभावित हुआ है।
 
एलिंग कहते हैं, "दर्ज नहीं होने वाले मामलों की अनुमानित संख्या अब बढ़ने लगी है। छुट्टियों पर जाने से पहले लोग टेस्ट नहीं करा रहे हैं क्योंकि उन्हें चिंता रहती है कि अगर पॉजिटिव निकले तो जा नहीं पाएंगे।"
 
भारत में कोविड के 23 फीसदी सैंपलों में ये नया सबवेरिएंट पहले ही दिख चुका है। म्युनिख के वैश्विक विज्ञान अभियान, जीआईएसएआईडी (जीसेड) ने जुलाई की शुरुआत में ये नमूने खंगाले थे। जीसेड कोविड और इन्फ्लुएंजा वायरसों का आनुवांशिक डाटा उपलब्ध कराता है। ऑस्ट्रेलिया में डाटा विशेषज्ञ माइक हनी ने ट्विटर में तीव्र उभार को रेखांकित किया था। 
 
रिसर्चरों का कहना है कि ये अनुमान लगाने के बारे में अभी पर्याप्त जानकारी नहीं है कि बीए.2.75 संक्रमण पिछले कोरोनावायरस वेरिएंट के मुकाबले कम घातक होगा या ज्यादा। दरअसल जो भी थोड़ा बहुत जानकारी वैज्ञानिकों के पास मौजूद है उसके आधार पर वे सिर्फ यही अंदाजा लगा सकते हैं कि नया सबवेरिएंट आगे क्या रास्ता अख्तियार करेगा। 
 
एलिंग कहते हैं कि "लगता तो यही है कि कोई चीज हमारी ओर बढ़ती आ रही है। लेकिन इस बारे में अभी कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं।"
 
रिपोर्ट : कार्ला ब्लाइकर

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

गायों की वजह से मिली थी दुनिया को चेचक से मुक्ति!