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कोटला का गेट सहवाग के नाम पर, लेकिन हो गई बड़ी चूक

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बुधवार, 1 नवंबर 2017 (14:48 IST)
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने घरेलू फिरोजशाह कोटला मैदान में अपने नाम पर गेट रखे जाने को एक बड़ा सम्मान बताया है। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने मंगलवार को फिरोजशाह कोटला मैदान के गेट नंबर दो का नाम सहवाग पर रखा। दुनिया के सबसे विध्वंसक बल्लेबाजों में से एक सहवाग को इस अवसर पर टीम इंडिया के सदस्यों और प्रमुख कोच रवि शास्त्री ने बधाई दी। इस गेट का नाम वीरेंद्र सहवाग गेट रखा गया है, लेकिन इसमें डीडीसीए की बड़ी चूक सामने आई है।  
 
गेट पर सहवाग के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें और रिकॉर्डों को लिखवाया गया है। इन्हीं रिकॉर्ड्स को लिखने के दौरान डीडीसीए ने एक बड़ी गड़बड़ कर दी है। गेट पर लिखा गया है कि सहवाग टेस्ट क्रिकेट तिहरा शतक लगाने वाले भारत के एकलौते बल्लेबाज हैं, जबकि इस दौरान डीडीसीए कर्नाटक की तरफ से घरेलू मैच खेलने वाले और भारतीय बल्लेबाज करुण नायर के रिकॉर्ड को भूल गया।
 
सहवाग ने इस अवसर पर कहा कि मेरे लिए यह बहुत बड़ा सम्मान है कि कोटला के एक गेट का नाम मुझ पर रखा गया है। यह वही मैदान है जहां से मैंने अपने जीवन का सफर शुरू किया था। मुझे आज भी याद है जब मैंने अपने करियर की शुरुआत की थी तो मैं रोजाना इसी गेट से होकर गुजरता था और आज इस गेट का नाम मेरे नाम पर रखा गया है। मेरे लिए इससे बड़ा सम्मान कोई और नहीं हो सकता।
 
टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक और वन-डे में दोहरा शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज़ सहवाग ने कहा कि इस राज्य से और भी क्रिकेटर आएंगे जिनके नाम पर स्टैंड, गेट और पैवेलियन होंगे लेकिन मुझे खुशी है कि मैं दिल्ली से पहला क्रिकेटर हूं जिसके नाम पर गेट का नाम रखा गया है। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं और इस सम्मान के लिए डीडीसीए को धन्यवाद देना चाहता हूं।
 
नज़फगढ़ के नवाब के नाम से मशहूर सहवाग ने साथ ही कहा कि यह गेट राजधानी के युवा क्रिकेटरों को प्रेरित करने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी युवा क्रिकेटर इस गेट पर इस नाम को पढ़कर प्रेरित होगा। सहवाग यहां एक बच्चे के रूप में खेला था और जब उसने खेलना छोड़ा तो उसके नाम पर गेट का नाम रख दिया गया। मुझे लगता है कि यही बात युवाओं को प्रेरित करेगी कि हम भी कुछ कर सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि जब मैं दिल्ली के लिए अंडर-16, अंडर-19, अंडर-23 या रणजी खेलने के बाद भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता हूं और फिर इसी गेट, स्टैंड या किसी अन्य चीज का नाम मेरे नाम पर रखा जाता है तो यह प्रेरणा की ही बात हो सकती है।
 
सहवाग ने कहा कि यह एक शुरुआत है और आगामी टेस्ट में आपको कुछ और देखने को भी मिल सकता है। और खिलाड़ियों के नाम पर भी कुछ रखा जा सकता है। मैं चाहता था कि टेस्ट मैच शुरू होने से पहले यह समारोह हो लेकिन तब कोई और समारोह होना है इसी कारण ट्वेंटी 20 मैच से पहले इस समारोह को रखा गया है। 
 
सहवाग ने इसे एक सकारात्मक शुरूआत बताते हुए उम्मीद जताई कि कोटला में और भी गेट, स्टैंड तथा रेस्त्रां के नाम खिलाड़ियों के नाम पर रखे जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनके साथी दोस्त निखिल चोपड़ा, विजय दहिया, राहुल संघवी, रॉबिन सिंह जूनियर, अमित भंडारी, राजू शर्मा और रजत भाटिया इस अवसर पर उनसे मिले और इन सबसे मिलकर उन्हें बहुत खुशी हुई।
 
उन्होंने कहा कि मैं चाहता था कि दिल्ली की ओर से देश के लिए खेले सभी क्रिकेटर इस अवसर पर मौजूद रहें और सभी को बुलाया गया लेकिन कुछ लोग दिल्ली में नहीं थे जिस वजह से वे नहीं आ पाए। बिशन सिंह बेदी और मोहिंदर अमरनाथ नहीं आ पाए। शायद उम्र भी इसकी वजह रही हो। बेदी साहब मेरे पहले रणजी कोच थे और अमरनाथ से मैंने बल्लेबाजी के बारे में बहुत कुछ सीखा।
 
यह पूछने पर कि अपने करियर में वह कोई कमी महसूस करते हैं, सहवाग ने कहा कि एक ही कमी है कि जब दिल्ली रणजी चैंपियन बनी तो मैं उस टीम का हिस्सा नहीं था। उस समय मैं देश के लिए खेल रहा था, लेकिन मैं हर मैच की जानकारी रखता था। गौतम गंभीर ने शानदार कप्तानी करते हुए दिल्ली को रणजी चैंपियन बनाया था।  इस बीच डीडीसीए की क्रिकेट मामलों की समिति के प्रमुख और पूर्व भारतीय क्रिकेटर मदनलाल ने सहवाग को गेम चेंजर बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने खेल से इस गेम को पूरी तरह ही बदल डाला। हम पहले एक दिन में 240 या 250 रन बनाते थे लेकिन उनके आने के बाद 350 रन भी संभव हो गए। वह एक बड़ा कारण थे जिनकी बदौलत भारत ने कई मैच जीते। (एजेंसियां)

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