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भारतीय क्रिकेट में बहुत गहराई है लेकिन बदलाव धीरे-धीरे होना चाहिए: राठौड़

WD Sports Desk
सोमवार, 15 जुलाई 2024 (17:42 IST)
निवर्तमान बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ को पता है कि निकट भविष्य में बदलाव का मुश्किल दौर भारत का इंतजार कर रहा है लेकिन उपलब्ध प्रतिभावान खिलाड़ियों के साथ काम करने के बाद उनका मानना है कि टीम इससे निपटने में सक्षम है, बशर्ते यह ‘नियंत्रित तरीके से और धीरे-धीरे’ होना चाहिए।

विराट कोहली और रोहित शर्मा फिलहाल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे लेकिन अगले कुछ वर्षों में बदलाव का दौर आएगा जब ये अपने करियर के अंतिम चरण में होंगे।

पूर्व चयनकर्ता राठौड़ ने PTI (भाषा) को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘रोहित और विराट की क्षमता के खिलाड़ियों की जगह लेना कभी आसान नहीं होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हाल में (रविवार को) जिंबाब्वे के खिलाफ संपन्न श्रृंखला हमें संकेत देती है कि भविष्य में टी20 टीम कैसी दिखेगी। लेकिन टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उस बिंदू तक पहुंचने के लिए हमारे पास अब भी कुछ वर्ष हैं।’’

राष्ट्रीय चयनकर्ता और राष्ट्रीय टीम के कोच दोनों की जिम्मेदारी निभा चुके राठौड़ भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिभा पूल को मजबूत मानते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे लेकर बहुत चिंतित नहीं हूं। हमारे पास भारतीय क्रिकेट में बहुत गहराई है। बहुत सारे प्रतिभाशाली और कुशल खिलाड़ी हैं जो सामने आ रहे हैं। हमें बस यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बदलाव नियंत्रित तरीके से हो। इसे धीरे-धीरे करने की ज़रूरत है।’’

राठौड़ को लगता है कि जब तक रोहित और कोहली सभी प्रारूपों को अलविदा कहेंगे तब तक युवा सितारे अच्छी तरह से स्थापित हो जाएंगे जो अगले 10 वर्षों के लिए टीम का केंद्र बन जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि तब तक शुभमन गिल, ऋषभ पंत, यशस्वी जायसवाल, ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी खुद को स्थापित कर लेंगे और बदलाव को आसान बना देंगे।’’

राठौड़ ने कहा, ‘‘एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में भी हमारे पास श्रेयस अय्यर, लोकेश राहुल और हार्दिक पंड्या जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं जो जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं।’’

जिस तरह कोहली और रोहित ने एक दशक से ज्यादा समय तक भारतीय बल्लेबाजी के बोझ को अपने कंधों पर उठाया उसी तरह अगला दशक गिल और जायसवाल का हो सकता है।

पंजाब के पूर्व कप्तान ने कहा, ‘‘कई बेहतरीन खिलाड़ी आ रहे हैं, लेकिन ये दोनों लंबे समय तक तीनों प्रारूपों में खेलने के लिए तैयार हैं। आने वाले वर्षों में ये दोनों भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ बनने जा रहे हैं।’’

राठौर पिछले तीन वर्षों में द्रविड़ के लिए एक बेहतरीन सलाहकार रहे हैं और जब वे कहते हैं कि रिंकू सिंह एक अच्छे टेस्ट बल्लेबाज बनेंगे तो यह कथन वजनदार लगता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं उसे (रिंकू को) नेट पर बल्लेबाजी करते देखता हूं तो मुझे कोई तकनीकी कारण नजर नहीं आता कि रिंकू सफल टेस्ट बल्लेबाज नहीं बन पाए। मैं समझता हूं कि उसने टी20 क्रिकेट में एक शानदार फिनिशर के रूप में अपनी पहचान बनाई है लेकिन अगर आप उसके प्रथम श्रेणी के रिकॉर्ड को देखें तो उसका औसत 50 के ऊपरी हिस्से में है।’’

राठौड़ ने कहा, ‘‘वह (रिंकू) बहुत शांत स्वभाव का भी है। इसलिए ये सभी कारक संकेत देते हैं कि अगर उसे मौका दिया जाए तो वह एक टेस्ट क्रिकेटर के रूप में विकसित हो सकता है।’’

राठौड़ को अपने कार्यकाल के दौरान हर दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का सामना करना पड़ता था, जो 2019 विश्व कप के बाद कोहली के खराब फॉर्म से जुड़ा था और उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा दौर है जिससे हर किसी को गुजरना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस चरण के दौरान कोई तकनीकी समस्या नहीं थी जिस पर हमने विशेष रूप से काम किया हो। उन्हें लगातार संदेश दिया जाता था कि वे कड़ी मेहनत करते रहें और अपने तरीकों पर विश्वास रखें। आखिरकार वह और भी मजबूत होकर लौटे और पहले से भी बेहतर खिलाड़ी बन गए।’’

राठौड़ और द्रविड़ ने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ही श्रृंखला में टेस्ट पदार्पण किया और इससे पहले घरेलू क्रिकेट में एक दूसरे के खिलाफ खेल चुके थे।

दोनों जब टीम से सहयोगी स्टाफ के रूप में जुड़े तो इस तीन दशक पुराने संबंध से काफी मदद मिली।उन्होंने कहा, ‘‘राहुल सबसे अच्छे कोच हैं जिनके साथ मैंने काम किया है जो आपको काम करने की स्वतंत्रता देते हैं और आपको ईमानदारी से फीडबैक देंगे।’’

राठौड़ ने कहा ‘‘हमारे बीच हुई शुरुआती चर्चाओं में से एक टी20 क्रिकेट में बल्लेबाजी के खाके को बदलने के बारे में थी। हम इस बात पर सहमत हुए कि हमें अपनी बल्लेबाजी के तरीके में और अधिक जज्बा और आक्रामकता लाने की जरूरत है।’’

राठौड़ ने कहा कि अक्षर पटेल इसका एक उदाहरण हैं जिन्होंने आठवें नंबर पर एक अच्छे बल्लेबाजी विकल्प की उनकी समस्या को हल किया।उन्होंने कहा, ‘‘इससे बहुत बड़ा अंतर आया और शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को बल्लेबाजी करने की बहुत अधिक स्वतंत्रता मिली।’’<>

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