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चहल पर भारी पड़े चाहर, संजू पर किशन, टी-20 विश्वकप चयन में इन खिलाड़ियों के बीच हुआ मुकाबला

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गुरुवार, 9 सितम्बर 2021 (12:38 IST)
बुधवार रात बीसीसीआई ने टी-20 विश्वकप के लिए सिलेक्शन कर दिया और जिन नामों पर संशय था उन पर तस्वीर साफ हो गई। ज्यादातर खिलाड़ी जैसे विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल और ऋषभ पंत के चयन पर तो कोई सवाल था ही नहीं सिर्फ कुछ खिलाड़ियों के बीच मुकाबला था। देखते हैं कि टीम चयन में किस खिलाड़ी ने किसको दी मात।

कहीं कहीं ऐसा भी हुआ है कि जिन दो विकल्पों पर बोर्ड चर्चा कर रही थी उनमें से एक को लेने की बजाए दोनों को ही टीम में ले लिया गया या फिर ऐसा भी हुआ है दोनों को ही टीम से ड्रॉप कर दिया गया है। नजर डालते हैं कि सिलेक्शन से पहले और बाद में कैसे तस्वीर बदली।

अतिरिक्त स्पिनर: वरुण चक्रवर्ती/राहुल चाहर (दोनों को लिया और चहल को किया ड्रॉप)

माना जा रहा था कि वरुण चक्रवर्ती और राहुल चाहर के बीच चयन की जंग होगी लेकिन दोनों को ही टीम में ले लिया गया और युजवेंद्र चहल को टीम से ड्रॉप कर दिया गया।

चयनसमिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा ने कहा, ‘‘हमने चहल पर राहुल चाहर को प्राथमिकता दी है क्योंकि हम किसी ऐसे स्पिनर को चाहते थे जो तेज गेंद भी कर सके और पिच से तेजी से हासिल कर सके।’’

युजवेंद्र चहल पिछले कई टी-20 मैचों से काफी महंगे साबित हो रहे थे। जो चयनकर्ताओं की निगरानी में भी था। साल 2018 के बाद उनकी गेंदबाजी का ग्राफ नीचे गिरता रहा और विकेट कम होते गए और उनकी इकॉनमी बढ़ती गई।

साल 2020 में चहल ने 9 मैचों में सिर्फ 7 विकेट लिए और बल्लेबाजों को 9 रन प्रति ओवर दिए। इसमें से एक मैच तो ऑस्टेलिया के खिलाफ था जिसमें उन्होंने 3 विकेट लिए थे। वहीं इस साल भी उनका प्रदर्शन बेअसर रहा और सिर्फ 4 मैचों में उन्होंने 4 विकेट लिए और 8.62 रन प्रति ओवर बल्लेबाज को दिए।

कुल करियर की बात करें तो युजवेंद्र चहल ने 49 टी-20 मैच खेले हैं और 1594 रन देकर 63 विकेट अपने नाम किए हैं। उनकी इकॉनमी यहां भी 8.32 की है।

वहीं राहुल चाहर ने श्रीलंका से हुई टी-20 सीरीज में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। बीते 4 टी-20 मैचों में उनका औसत 18.33 रहा है और सिर्फ 7.33 की इकॉनमी रही है। यहां चाहर ने चहल को मात दे दी।

अतिरिक्त सलामी बल्लेबाज: शिखर धवन/पृथ्वी शॉ (दोनों को ही ड्रॉप किया गया)

दिल्ली कैपिटल्स की सलामी जोड़ी में से किसी एक को भी टी-20 विश्वकप में शामिल नहीं किया गया। शिखर धवन की स्ट्राइक रेट ऐसी नहीं थी कि उन्हें विश्वकप की टीम में शामिल किया जाए। इंग्लैंड के खिलाफ इस साल हुई टी-20 सीरीज में उन्होंने पहले मैच में निराश किया।

टी-20 विश्वकप 2016 के बाद शिखर धवन के प्रदर्शन में खासी गिरावट देखी गई थी। उन्होंने इस टूर्नामेंट के बाद से 46 टी-20 मैचों में महज 31 की औसत से 1343 रन बनाए थे जिसमें 9 अर्धशतक शामिल थे।पृथ्वी शॉ ने आईपीएल में कुछ अच्छी पारियां खेली थी। लेकिन उनके नाम पर भी विचार नहीं किया गया।

रिजर्व कीपर: ईशान किशन/संजू सैमसन (किशन संजू पर पड़े भारी)

इस निर्णय को लेने में बोर्ड को ज्यादा परेशानी नहीं हुई होगी। इस साल अपना टी-20 अंतराष्ट्रीय डेब्यू पर ही ईशान किशन ने इंग्लैंड के खिलाफ एक अर्धशतकीय पारी खेली थी। किशन दूसरे विकेटकीपर और तीसरे सलामी बल्लेबाज की भी भूमिका निभाएंगे। उनको ‘पावर हिटिंग’ के लिए टीम में रखा गया है।

वहीं संजू सैमसन के लिए श्रीलंका में खेली गई टी-20 सीरीज के बाद से ही रास्ते बंद हो गए थे। उन्होंने पहले टी -20 में  20 गेंदों पर 27 रन बनाए थे, जबकि दूसरे मैच में उनके बल्ले से 13 गेंदों पर सिर्फ 7 रन देखने को मिले थे। फाइनल में जब उनके बल्ले से टीम को सबसे ज्यादा जरुरत थी तो वह 0 पर आउट हो गए थे।

बाएं हाथ के तेज गेंदबाज: चेतन सकारिया/टी नटराजन (दोनों को ही किया टीम से ड्रॉप)

श्रीलंका दौरे पर भारतीय टीम के साथ जाने वाले चेतन सकारिया और पिछले साल एक ही दौरे पर टेस्ट वनडे और टी-20 डेब्यू करने वाले टी नटराजन को टी-20 विश्वकप से बाहर रखा गया है। इसका कारण यह है कि तेज गेंदबाजी में शामिल होने की गुंजाइश ही नहीं है।

हालांकि सकारिया से बेहतर नटराजन के चयन की संभावना ज्यादा थी क्योंकि वह उनसे अनुभवी हैं और यॉर्कर स्पेशलिस्ट माने जाते हैं। नटराजन को शामिल करके बोर्ड गेंदबाजी क्रम में विविधता शामिल कर सकता था लेकिन चयन समिति ने गेंदबाजी क्रम से छेड़छाड़ ना करना ही उचित समझा।

जडेजा के लिए रिजर्व (विकल्प): अक्षर पटेल/कृणाल पंड्या (पटेल ने पांड्या को पटका)

अक्षर को रविंद्र जडेजा के बैकअप आलराउंडर के रूप में चुना गया है। यह नतीजा थोड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि इंग्लैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में क्रुणाल पांड्या ने अपनी बल्लेबाजी से काफी प्रभावित किया था। अक्षर पटेल टीम में तब खेलेंगे जब जड़ेजा चोटिल होंगे। या फिर लीग मैच में जब भारत का सामना असोसिएट देशों के साथ होगा। (वेबदुनिया डेस्क)

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