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राजीव शुक्ला के निजी सचिव सैफी ने भ्रष्टाचार आरोपों के बाद दिया इस्तीफा

राजीव शुक्ला के निजी सचिव सैफी ने भ्रष्टाचार आरोपों के बाद दिया इस्तीफा
, शुक्रवार, 20 जुलाई 2018 (00:52 IST)
नई दिल्ली। आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला के निजी सचिव मोहम्मद अकरम सैफी पर भ्रष्टाचार के सनसनीखेज आरोपों से भारतीय क्रिकेट में एक बार फिर सनसनी फैल गई है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सैफी को पहले निलंबित कर दिया जिसके बाद सैफी ने खुद इस्तीफा दे दिया। 
 
          
एक हिंदी समाचार चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया था कि सैफी ने उत्तर प्रदेश टीम में खिलाड़ियों का चयन कराने के लिए रिश्वत और कुछ अन्य चीजें मांगी थी। इन आरोपों ने बीसीसीआई में फिर से तूफ़ान ला दिया है। बीसीसीआई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने इस मामले में जांच का भरोसा भी दिया है।
          
चैनल पर स्टिंग ऑपरेशन में यह दावा किया गया है कि आईपीएल चेयरमैन शुक्ला का निजी स्टॉफ खिलाड़ियों के चयन के बदले रिश्वत लेता है। इस स्टिंग में शुक्ला के निजी सहायक अकरम सैफी और क्रिकेटर राहुल शर्मा के बीच बातचीत को दिखाया गया है जिसमें सैफी ने राज्य की टीम में राहुल का चयन कराने के बदले रिश्वत की बात की है।
         
राजीव शुक्ला पिछले लंबे समय से बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी हैं और दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट लीग आईपीएल के भी चेयरमैन हैं। वह साथ ही उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) में निदेशक हैं। बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधक शाखा (एसीयू) ने इस मामले में जांच की बात कही है।
         
सैफी ने उन पर आरोपों का मामला तूल पकड़ने के बाद इस्तीफा दे दिया है और शुक्ला का कहना है कि इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया जाना चाहिए।
         
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का इस मामले में कहना है कि इसमें एक जांच आयोग बैठाया जाएगा जो बीसीसीआई के संविधान 32 के अनुसार है। इस नियम के अनुसार बीसीसीआई ने सैफी से इन आरोपों को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा है। जांच कमिश्नर नियुक्त होने के बाद सैफी से पूछताछ करेंगे और अपनी रिपोर्ट 15 दिन के अंदर देंगे। 
          
जहां तक उत्तर प्रदेश क्रिकेट का मामला है तो उसे उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) देखेगा। वैसे यूपीसीए ने अकरम सैफी पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दलील दी है कि संघ खिलाड़ियों के चयन के लिए होने वाले ट्रायल में पूरी पारदर्शिता बरतता है और अनर्गल आरोप लगाने वाले शख्स को अपनी लिखित शिकायत यूपीसीए के दफ्तर में दर्ज करानी चाहिए।
           
स्टिंग ऑपरेशन में दिखाए गए क्रिकेटर राहुल ने भारत या फिर किसी राज्य की टीम की ओर से कभी नहीं खेला है। लेकिन राहुल ने आरोप लगाया है कि सैफी ने उनसे राज्य की टीम चयन के लिए रिश्वत की मांग की थी। उन्होंने साथ ही सैफी पर झूठे उम्र का प्रमाण-पत्र तैयार करने का भी आरोप लगाया है लेकिन सैफी ने इन आरोपों से इंकार किया है।
           
इस बीच उत्तर प्रदेश टीम के पूर्व कप्तान और खेल से संन्यास ले चुके मोहम्मद कैफ ने ट्वीट कर कहा कि वह इन आरोपों से काफी स्तब्ध हैं और इसकी जांच की जानी चाहिए। कैफ ने कहा, 'मैं भ्रष्टाचार के आरोपों को सुनकर हैरान हूं। युवा खिलाड़ी इस तरह से भ्रष्टाचारी लोगों से त्रस्त रहते हैं। शुकला जी आपको इस मामले में पारदर्शी तरीके से जांच करानी चाहिए।'
            
उधर यूपीसीए के सूत्रों कहा, 'खिलाड़ी के चयन के लिए दवाब बनाने की नीति के तहत राहुल शर्मा नामक शख्स अनर्गल आरोप लगा रहा है। पिछले पांच वर्षों के रिकॉर्ड में राहुल शर्मा नामक इस शख्स का कोई नाम नही है।'
            
सूत्रों ने कहा, 'अगर उसे यूपीसीए के किसी अधिकारी से कोई शिकायत थी तो उसे इसकी लिखित शिकायत दर्ज करानी चाहिए मगर जब उसका नाता संघ से नहीं तो वह ऐसा करने की हिम्मत कैसे जुटा सकता था। सैफी आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला के पीए हैं, इस नाते राहुल ने उनको निशाना बनाया ताकि यूपीसीए पर दवाब बनाकर अपना उल्लू सीधा कर सके।'
 
उन्होंने कहा कि यूपीसीए की ट्रायल प्रक्रिया बेहद पारदर्शी है जिसमे पहले जिला स्तर पर स्कोर करना होता है, उसके बाद मंडल, फिर जोन स्तर पर खिलाड़ी के हुनर को परखा जाता है जिसके बाद ही उसे मुख्य ट्रायल का मौका मिलता है। इस तरह मुख्य ट्रायल में खेलने के लिए एक युवा खिलाड़ी को कम से कम 15 मुकाबलों में अपने हुनर का इम्तिहान देना पड़ता है।
              
सूत्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं और प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व करने की लालसा हर खिलाड़ी को रहती है। इसके चलते कई नामी गिरामी हस्तियों की सिफारिश यूपीसीए के पास आती है मगर हर एक को संघ का जवाब एक ही होता है कि चयन प्रक्रिया का पालन करके ही खिलाड़ी का चयन संभव है।

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