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ODI में 2 'हैट्रिक' लेने वाले Kuldeep Yadav बने भारत के पहले और दुनिया के छठे गेंदबाज

ODI में 2 'हैट्रिक' लेने वाले Kuldeep Yadav बने भारत के पहले और दुनिया के छठे गेंदबाज

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 18 दिसंबर 2019 (23:38 IST)
विजाग (विशाखापट्टनम)। भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टीम इंडिया के 'चाइनामैन' गेंदबाज कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) ने 'हैट्रिक' लेकर अनोखा काम कर डाला। वे भारतीय क्रिकेट के ऐसे पहले गेंदबाज बन गए हैं जिन्होंने वनडे में 2 बार हैट्रिक ली है। वे 2 या इससे अधिक हैट्रिक लेने वाले दुनिया के छठे गेंदबाज हैं।
 
कप्तान विराट कोहली ने कुलदीप को 33वां ओवर डालने के लिए गेंदबाजी मोर्च पर लगाया। इस ओवर की तीन गेंद के बाद चौथी गेंद पर उन्होंने शाई (होप 78 रन), पांचवीं गेंद पर जैसन होल्डर (11) और फिर छठी गेंद पर अलजारी जोसेफ (0) को पैवेलियन का रास्ता दिखाकर वनडे मैचों की अपनी दूसरी हैट्रिक पूरी की।
 
कुलदीप इससे पहले वनडे में हैट्रिक लेने का कारनामा 21 अक्टूबर 2017 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था। उन्होंने 10 ओवर में 53 देकर 3 विकेट हासिल किए थे। इसी मैच में भुवनेश्वर कुमार ने भी 6.1 ओवर में 9 रन देकर हैट्रिक ली थी। 
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कुलदीप यादव वनडे मैचों में 3 या 2 मर्तबा है हैट्रिक लेने वाले दुनिया के 6 गेंदबाजों के 'विशिष्ट क्लब' में शामिल हो गए हैं। लसित मलिंगा ने वनडे करियर में 3 बार हैट्रिक ली है जबकि वसीम अकरम, सकलैन मुश्ताक, चामिंडा वास, ट्रेंट बोल्ट और ने 2-2 बार हैट्रिक ली है।
 
भारत की तरफ से हैट्रिक लेने वाले गेंदबाज : भारत के लिए वनडे में सबसे पहले 1987 में चेतन शर्मा ने नागपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ हैट्रिक ली थी। उसके बाद 1991 में कपिल देव ने कोलकाता में श्रीलंका के विरुद्ध हैट्रिक ली। इसके बाद कुलदीप ने 2017 में कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, मोहम्मद शमी ने 2019 में साउथेम्पटन में अफगानिस्तान के खिलाफ और फिर कुलदीप ने 2019 में विजाग में वेस्टइंडीज के खिलाफ हैट्रिक ली।
 
हैट्रिक लेने के बाद कुलदीप की प्रतिक्रिया : दूसरा वनडे मैच भारत ने 107 रन के विशाल अंतर से जीता। मैच के बाद कुलदीप ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वनडे में दूसरी बार 'हैट्रिक' लेना गौरव की बात हैं। इसके लिए मेरे पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है।

कुलदीप के अनुसार मेरे लिए पिछले 4-5 महीने बहुत मुश्किल भरे थे। मैंने जमकर मेहनत की और परिणाम सबके सामने हैं। हैट्रिक लेने का राज यही है कि मैंने सिर्फ अपनी गति में बदलाव किया।

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