Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

36 पर ऑल आउट, अस्पताल बना डेसिंग रूम, फिर भी ऑस्ट्रेलिया को हराया गाबा में, 2 साल पहले आज ही मिली थी ऐतिहासिक जीत

36 पर ऑल आउट, अस्पताल बना डेसिंग रूम, फिर भी ऑस्ट्रेलिया को हराया गाबा में, 2 साल पहले आज ही मिली थी ऐतिहासिक जीत
, गुरुवार, 19 जनवरी 2023 (14:36 IST)
ऑस्ट्रेलिया को उसकी जमीन पर गाबा जैसे मैदान पर वह टीम ही हरा सकती है जिसके पास खोने के लिए कुछ ना हो। युवा खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया के इन खिलाड़ियों के पास भूतपूर्व का कुछ नहीं था। यही कारण रहा कि साल 2021 में यंगिस्तान ने कंगारुओं का उन्हीं की मांद में शिकार कर 2-1 से बॉर्डर गावस्कर सीरीज पर कब्जा जमाया था। यह याद भारतीय क्रिकेट फैंस के मन में अब भी ताजा है।गाबा के एतिहासिक जीत से पहले जानते हैं पूरी सीरीज के दौरान टीम इंडिया किन मुश्किलों से जूझी।
 
एडिलेड के पहले गुलाबी गेंद टेस्ट में 36 रनों पर सिमटी थी टीम इंडिया
 
भारतीय टीम जब 36 रनों पर ऑल आउट हो गई थी तो निराश होने की जगह उन्होंने बिती ताही बिसार के आगे की सुध लो कहावत के अनुसार काम किया। जो गलतियां एडिलेड में दिखी वह ना ही फिर मेलबर्न में दिखी, ना ही सिडनी में और ना ही ब्रिस्बेन में। बल्लेबाजों के गैर जिम्मेदाराना शॉट कम हो गए।
webdunia

कोहली की  कमी ना बल्लेबाज और ना कप्तान के तौर पर खलने दी रहाणे ने

कोहली की अनुपस्थिति एक बड़ी मुसीबत थी। टीम इंडिया के कप्तान हाल ही में पिता बने थे। कप्तान की अनुपस्थिती में भी टीम को दिशा निर्देश देने वाले कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे ने कभी इस कमी का रोना नहीं रोया।
 
पहले टेस्ट के बाद टीम इंडिया ने अपने तेवर बदल लिए। मेलबर्न टेस्ट से टीम निडरता से बल्लेबाजी करती हुई नजर आने लगी। दूसरे टेस्ट में तेज बल्लेबाजी कर बढ़त लेने की कोशिश की जो मिली। तीसरे टेस्ट को जीतने की कोशिश की और पंत के विकेट के बाद ड्रॉ कराया। वहीं चौथे टेस्ट को टीम 3 विकेट से जीतकर ही मानी। 
लगातार चोट से बाहर हो रहे थे वरिष्ठ खिलाड़ी, युवाओँ ने दिखाया दम
 
टीम इंडिया का ड्रेसिंग रूम मिनी अस्पताल सा लग रहा था। हालत यह थी कि हर टेस्ट के बाद कम से कम एक खिलाड़ी चोटिल हो रहा था। मोहम्मद शमी, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह, अश्विन जैसे खिलाड़ियों के ना होने पर भी टीम इंडिया की सोच में बदलाव नहीं आया। उनकी जगह लेने वाले नए खिलाड़ियों ने सीनियर खिलाड़ियों की कमी नहीं महसूस होने दी। 
webdunia

नस्लवादी टिप्पणियां भी टीम इंडिया के हौसलों को डिगा नहीं पाई
 
दूसरा टेस्ट जीतने के बाद ऑस्ट्रेलियाई दर्शक टीम इंडिया के पीछे पड़ गए। खासकर सिराज को तो उन्होंने क्या क्या नहीं कहा। लेकिन टीम इंडिया अपनी दिशा नहीं भटकी। टीम ने अपना प्रदर्शन पैना किया और स्टैंड्स से मिल रही नस्लीय टिप्पणियों का सही मायने में जवाब दिया। मैदान पर जीत की ललक आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के टिकट के लिए कम और दर्शकों को करारा जवाब देने के लिए ज्यादा दिख रही थी।
 
क्या हुआ था गाबा के एतिहासिक टेस्ट मैच में
 
युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल (91), टीम इंडिया की दीवार चेतेश्वर पुजारा (56) और प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत (नाबाद 89) की करिश्माई बल्लेबाजी से भारत ने ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में ऑस्ट्रेलिया को चौथे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के पांचवें दिन 3 विकेट से हराकर नया इतिहास रच दिया था। भारत ने पहली बार ब्रिस्बेन में टेस्ट जीत हासिल की और 4 मैचों की सीरीज को 2-1 से जीत लिया थी। 
 
भारत को इस मुकाबले को जीतने के लिए 328 रन का लक्ष्य मिला था। भारत ने सुबह जब बिना कोई विकेट खोए 4 रन से अपनी पारी को आगे बढ़ाया तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारत चौथी पारी में इतने मुश्किल लक्ष्य को हासिल कर लेगा। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिर में करिश्मा कर दिखाया जिसका करोड़ों देशवासियों को इंतजार था। भारत ने 97 ओवर में 7 विकेट पर 329 रन बनाकर ऐतिसाहिक जीत दर्ज की थी। 
webdunia

 
पहली बार जीता भारत ने गाबा का किला
 
भारत की गाबा मैदान में 7 टेस्ट मैचों में यह पहली जीत थी। भारत ने इस मैदान पर अपने पिछले 6 टेस्ट मैचों में 5 हारे थे और एक ड्रॉ खेला था। गाबा मैदान में भारत की ऐतिहासिक जीत के 3 बड़े हीरो रहे थे। शुभमन, पुजारा और पंत ने मैच के अंतिम दिन ऐसी बल्लेबाजी की थी जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। 
 
शुभमन ने 146 गेंदों में 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 91 रन की आक्रामक पारी खेली थी जिसने भारत को जीत का आधार दिया था। पुजारा ने चट्टान की तरह एक छोर संभाल कर खेलते हुए 211 गेंदों में 7 चौकों के सहारे 56 रन बनाए थे। पुजारा की इस पारी ने भी टीम इंडिया को मजबूती प्रदान की और पंत ने 138 गेंदों में 9 चौकों और 1 छक्के की मदद से नाबाद 89 रन बनाकर मुकाबले में भारत की जीत की मुहर लगा दी थी। 
 
कप्तान अजिंक्या रहाणे ने 24, मयंक अग्रवाल ने 9 रन और वाशिंगटन सुंदर ने 29 गेंदों में 2 चौकों और 1 छक्के के सहारे 22 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया अपनी पूरी ताकत के साथ गेंदबाजी करने के बावजूद टीम इंडिया के हौंसलों को नहीं डगमगा पाया था और भारत ने 2-1 की जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया दौरा समाप्त किया था। भारत ने इस दौरे में वनडे सीरीज 1-2 से गंवाई लेकिन फिर वापसी करते हुए टी-20 सीरीज 2-1 से और टेस्ट सीरीज 2-1 से जीत ली थी। 
 
भारत ने 4 मैचों की इस सीरीज में एडिलेड में खेले गए पहले दिन-रात्रि मुकाबले में दूसरी पारी में 36 रन के अपने इतिहास के न्यूनतम स्कोर पर आउट होकर 8 विकेट से पराजय झेली थी। लेकिन टीम इंडिया ने अजिंक्या रहाणे की कप्तानी में मेलबोर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में शानदार वापसी करते हुए 8 विकेट से जीत हासिल की और सीरीज को 1-1 की बराबरी पर ला दिया था। 
 
सिडनी में तीसरे टेस्ट के 5वें दिन साहसिक बल्लेबाजी करते हुए टेस्ट ड्रॉ कराया और ब्रिस्बेन में 5वें तथा अंतिम दिन ऐतिहासिक जीत अपने नाम कर ली थी।  भारत के टेस्ट इतिहास में यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर लगातार 2 टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की थी। 
 
ऑस्ट्रेलिया ने इस मुकाबले की पहली पारी में 369 रन बनाए थे जबकि भारत ने शार्दुल ठाकुर और वाशिंगटन सुंदर के अर्ध्दशतकों से पहली पारी में 336 रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 33 रन की बढ़त हासिल की थी। भारत ने तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के 5 विकटों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 294 रन पर समेटा था। भारत को जीत के लिए 328 रन का लक्ष्य मिला जो उसने मैच के पांचवें और अंतिम दिन अपनी शानदार बल्लेबाजी से हासिल कर लिया था। 
 
भारत ने अंतिम और पांचवे दिन की सुबह रोहित शर्मा का विकेट जल्द ही गंवा दिया था लेकिन इसके बाद के बल्लेबाजों ने पूरी सूझबूझ, रणनीति और साहस के साथ बल्लेबाजी की और अंतिम सत्र के आखिरी ओवरों में जीत हासिल कर ली थी। भारतीय क्रिकेट इतिहास में ब्रिस्बेन की यह जीत ऐसा ऐतिहासिक लम्हा था जो हमेशा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया था। कई खिलाड़ियों के चोटिल होकर बाहर हो जाने और निर्णायक जंग में नवोदित खिलाड़ियों के बलबूते पर रहाणे की सेना ने वो कारनामा कर दिखाया जो आजतक कोई भारतीय कप्तान नहीं कर पाया था। 
webdunia
19 जनवरी को ऐसा रहा था गाबा टेस्ट का अंतिम दिन
 
अंतिम और पांचवे दिन की सुबह रोहित शर्मा ने चार रन और शुभमन गिल ने खाता खोले बिना भारतीय पारी को आगे बढ़ाया था। रोहित हालांकि कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके और तेज गेंदबाज पैट कमिंस ने विकेट के पीछे टिम पेन के हाथों कैच कराकर रोहित को आउट किया था। रोहित ने 21 गेंदों में एक चौकों की मदद से सात रन बनाए थे। रोहित का विकेट 18 रन के स्कोर पर गिरा था।
 
रोहित के आउट होने के बाद युवा बल्लेबाज शुभमन ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए चेतेश्वर पुजारा के साथ पारी को आगे बढ़ाया था। दोनों बल्लेबाजों ने दूसरे विकेट के लिए 114 रनों की मजबूत साझेदारी की थी और भारत के लिए मैच में उम्मीद बढ़ा दी थी । शुभमन ने इसके साथ ही अपने टेस्ट करियर का दूसरा अर्धशतक पूरा किया था। 
शुभमन हालांकि अपना पहला शतक बनाने से चूक गए थे और लेग स्पिनर नाथन लियोन की गेंद पर स्टीव स्मिथ के हाथों कैच थमाकर पैवेलियन लौट गए थे । शुभमन ने 146 गेंदों में 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 91 रन बनाए थे। उनकी शानदार पारी ने भारत को अच्छी स्थिति पर पहुंचाया था। पुजारा ने इसके बाद कप्तान अजिंक्या रहाणे के साथ टीम की पारी को गति देने की कोशिश की थी और दोनों बल्लेबाजों ने सधी हुई पारियां खेल कंगारु टीम के गेंदबाजों पर दबाव बनाया था। कमिंस ने एक बार फिर अपनी गेंदबाजी का जादू बिखेरा और रहाणे को पिन के हाथों कैच कराकर टीम इंडिया को तीसरा झटका दे दिया था। रहाणे ने 22 गेंदों में एक चौका और एक छक्के के सहारे 24 रन बनाए थे। 
 
इस बीच पुजारा एक छोर से पारी को संभाले रहे तथा उनका साथ विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत ने बखूबी दिया था। पुजारा और पंत के बीच चौथे विकेट के लिए 61 रनों की साझेदारी हुई थी। पुजारा ने इसके साथ ही शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपने टेस्ट करियर का 28वां अर्ध्दशतक पूरा किया था। 
 
पुजारा अपनी पारी को और गति देते उससे पहले ही कमिंस ने उन्हें पगबाधा आउट कर भारत को चौथा झटका दिया था। कमिंस का मैच में यह तीसरा विकेट था। पुजारा ने 211 गेंदों में 7 चौकों की मदद से 56 रन बनाए। पुजारा के आउट होने के बाद पंत ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए मोर्चा संभाला था।अंत में भारत ने वॉशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर के भी विकेट गंवाए थे लेकिन ऋषभ पंत ने तेजी से रन बनाकर विजयी चौका जड़कर इतिहास रच दिया था।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

न्यूजीलैंड क्रिकेट के नए संकटमोचन बन गए हैं माइकल ब्रेसवेल, विरासत में मिला क्रिकेट