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यह बीसीसीआई की दादागिरी है

यह बीसीसीआई की दादागिरी है
, मंगलवार, 4 अक्टूबर 2016 (19:31 IST)
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को न लागू करने के लिए वह दांव आज़माया है जो गैरज़रूरी था। बीसीसीआई पर इस मुद्दे पर सीधे सीधे अदालत पर दबाव तक बनाने से गुरेज़ नहीं कर रहा। 8 अक्टूबर से इंदौर में भारत-न्यूज़ीलैंड के बीच होने वाले टेस्ट पर भी बोर्ड ने धमकी दे डाली कि वह मैच रद्द कर सकता है। हालांकि बाद में स्थिति स्पष्ट हुई और अब मैच होगा, लेकिन क्या यह बोर्ड की दादागिरी नहीं है? अदालत में 6 अक्टूबर को बोर्ड के मामले की सुनवाई है और इसके पहले बीसीसीआई अदालत पर इस तरह दबाव डालने का प्रयास कर रहा है। 
मैच रद्द करने की खबर से क्रिकेट की दुनिया में स्वस्थ संदेश गया? जैसे ही मैच रद्द करने की खबरें आईं, न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड भी जानने को उत्सुक था। बोर्ड की तरफ से बयान भी दिया गया कि इस संबंध में अभी तक बीसीसीआई से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। इस धमकी के बाद दुनिया भर में भारतीय क्रिकेट के बारे में क्या नकारात्मक छवि नहीं बनी होगी? 
 
और यह समझना मुश्किल नहीं है कि बीसीसीआई ने यह धमकी क्यों दी थी। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को बोर्ड लागू ही नहीं करना चाहता और इसीलिए उसने न्यूजीलैंड के भारत दौरे को भी मोहरा बनाना चाहा। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को अगर लागू कर दिया गया बोर्ड में बैठे कई बड़े लोगों को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ सकता है। 
 
बोर्ड खुलेआम दादागिरी कर रहा है। भारत में क्रिकेट की दीवानगी को भुनाकर सबसे धनाढ्य क्रिकेट बोर्ड बने बीसीसीआई को आखिर भ्रष्टाचार दूर करने और बोर्ड को काम में पारदर्शिता लाने में ऐतराज़ क्यों है? क्या यह क्रिकेट फैन के साथ धोखाधड़ी नहीं है?    
 
क्या है लोढ़ा समिति की सिफारिशें?
* लोढ़ा समिति की सबसे अहम सिफारिश तो यही है कि एक राज्य में एक ही क्रिकेट संघ हो जो पूर्ण सदस्य हो और जिसे वोट देने का अधिकार हो। इसने यह भी कहा है कि रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटियों की अहमियत घटाकर उन्हें एसोसिएट मेंबर का दर्जा देना चाहिए।
 
* समिति का यह भी मानना है कि आईपीएल और बीसीसीआई की गवर्निंग बॉडीज अलग-अलग होनी चाहिए। इसने आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल के लिए सीमित स्वायत्तता की सिफारिश की है। 
 
* समिति के मुताबिक बीसीसीआई पदाधिकारियों की योग्यता के मानदंड बनाए जाने चाहिए। पदाधिकारी बनने के लिए यह जरूरी होना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति मंत्री या सरकारी अधिकारी न हो, उसने बीसीसीआई में किसी पद पर नौ साल या तीन कार्यकाल न गुजारे हों। किसी भी बीसीसीआई पदाधिकारी को लगातार दो बार से ज्यादा का कार्यकाल नहीं मिलना चाहिए।
 
* समिति ने आईपीएल के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुंदर रमन को क्लीन चिट दे दी है। 2013 में जब आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग का घोटाला उजागर हुआ तो आयोजन की कमान उनके ही हाथ में थी। रमन ने नवंबर 2015 में इस्तीफा दे दिया था।
 
* समिति ने यह भी कहा है कि सट्टेबाजी को वैध बना दिया जाना चाहिए, जिसके लिए भीतर से ही कोई व्यवस्था हो।
 
* रिपोर्ट में यह भी प्रस्ताव है कि खिलाड़ियों की अपनी एक एसोसिएशन बने।
 
* समिति ने एक स्टीयरिंग कमेटी बनाने की सिफारिश भी की है जिसके अध्यक्ष पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई हों और मोहिंदर अमरनाथ, डायना इदुलजी और अनिल कुंबले उसके सदस्य हों।
 
* रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड में क्रिकेट संबंधी मसलों को निपटाने की जिम्मेदारी पूर्व खिलाड़ियों को दी जानी चाहिए।
 
* समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि बीसीसीआई को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाया जाना चाहिए।
 
* रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड में क्रिकेट संबंधी मसलों को निपटाने की जिम्मेदारी पूर्व खिलाड़ियों को दी जानी चाहिए जबकि इससे इतर मामले संभालने के लिए सीईओ, उसके छ: सहायक मैनजरों और दो समितियों वाली एक व्यवस्था हो।

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