छोटे कद को आज भी समाज में एक बड़ी शारीरिक कमजोरी के रूप में देखा जाता है। अगर लड़की का कद छोटा हो तो उसकी परेशानियां और बढ़ जाती हैं, लेकिन बता रहे हैं आरती डोगरा की सफलता की कहानी। 3 फुट की आरती डोगरा ने साबित किया कि अगर हौसले मजबूत हों तो किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है, कोई भी शारीरिक कमी बाधा नहीं बन सकती। उन्होंने साबित किया कि दुनिया चाहे कुछ भी कहे, कुछ भी सोचे आप अपनी काबिलियत के दम पर सबकी सोच बदल सकते हैं।
महज 3 फुट की आरती डोगरा राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। आरती का कद भले छोटा है लेकिन आज वे देशभर की महिला आईएएस के प्रशासनिक वर्ग में एक मिसाल हैं। आरती ने समाज में बदलाव के लिए कई मॉडल पेश किए हैं जिनकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है।
छोटे कद के कारण लोगों ने उड़ाई हंसी : आरती डोगरा की कहानी भी संघर्षोंभरी रही। आरती का जन्म उत्तराखंड के देहरादून में हुआ था। छोटे कद के कारण बचपन में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा। लोगों ने उनकी हंसी उड़ाई। छोटी बुद्धि वाले कई लोगों ने तो उनके माता-पिता को सलाह दे दी कि यह लड़की बोझ है। इसको क्यों पाल रहे हो मार डालो। लेकिन, उनके माता-पिता ने आरती को पढ़ाया-लिखाया और इस काबिल बनाया कि वे आज इस मुकाम पर पहुंची।
आरती के पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा सेना में अधिकारी हैं और मां कुमकुम स्कूल में प्रिसिंपल हैं। आरती के जन्म के समय डॉक्टरों ने स्पष्ट कह दिया था कि उनकी बच्ची सामान्य स्कूल में नहीं पढ़ पाएगी, लोग भी कह रहे थे कि बच्ची असामान्य है। उनके माता-पिता ने अपनी प्यारी बच्ची को सामान्य स्कूल में डाला।
आईएएस बनने का जुनून : आरती की स्कूलिंग देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में हुई। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए वे वापस देरहरादून चली गईं। यहा उनकी मुलाकात देहरादून की डीएम आईएएस मनीषा से हुई। इस मुलाकात के बाद उनकी सोच में एक बड़ा बदलाव आया। उनके अंदर भी आईएएस का जुनून पैदा हो गया। मेहनत की और उम्मीद से भी बढ़कर अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने लिखित परीक्षा और साक्षात्कार भी पास कर लिया।
काम ने लिखी कामयाबी की इबारतें : आरती डोगरा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई पुरस्कार मिल चुके है। आरती डोगरा को राजस्थान के अजमेर की नई जिलाधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिली है। पहले भी वे एसडीएम अजमेर के पद पर भी पदस्थापित रही हैं। इससे पहले वे राजस्थान के बीकानेर और बूंदी जिलों में भी कलेक्टर का पदभार संभाल चुकी हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में बड़े-बड़े काम किए हैं। आरती जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी रहीं।
बीकानेर की जिलाधिकारी के तौर पर आरती नें 'बंको बिकाणो' नामक अभियान की शुरुआत की। इसमें लोगों को खुले में शौच न करने के लिए प्रेरित किया गया। पक्के शौचालय बनवाए गए जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर से होती थी। यह अभियान 195 ग्राम पंचायतों तक सफलतापूर्वक चलाया गया।