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कैसे अर्श से फर्श पर पहुंची जेट एयरवेज, 1.48 लाख निवेशकों के डूबे हजारों करोड़ रुपए

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 (13:08 IST)
Jet airways story : जेट एयरवेज ने 25 साल तक पूर्ण सेवा एयरलाइन के रूप में उड़ान भरने के बाद पांच साल पहले अप्रैल के महीने में अस्थायी रूप से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। नकदी संकट की वजह से एयरलाइन ने यह कदम उठाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के एयरलाइन के परिसमापन के आदेश के बाद इसके फिर से उड़ान भरने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो गई है। इसके साथ ही किसी समय भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी में मुनाफे की उम्मीद लगाए 1.48 लाख रिटेल निवेशकों की उम्मीद भी टूट गई। 
 
जेट एयरवेज की शुरुआत और सफल दौर  : नरेश गोयल ने 1974 में अपनी यात्रा एक एयर टैक्सी परिचालक के रूप में मुंबई से अहमदाबाद तक सेवा के साथ शुरू की थी। जेट एयरवेज की स्थापना नरेश गोयल ने 1993 में की थी, जिसने भारतीय एयरलाइन सेक्टर में एक बड़ा योगदान दिया। यह एयरलाइन देश की प्रमुख निजी एयरलाइनों में से एक बन गई थी। 2016 तक, इसके पास 178 विमानों का बेड़ा था और यह देश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन भी करती थी।
 
वित्तीय संकट और भारी कर्ज का बढ़ता बोझ : जेट एयरवेज पर 2019 तक बैंकों का 8,500 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो गया था। बढ़ते हुए खर्च, कर्ज और कम होते मुनाफे के कारण कंपनी वित्तीय संकट में घिर गई। साल 2019 में परिचालन को अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा के समय जेट एयरवेज के पास 20,000 से अधिक कर्मचारी थे। बैंक के 8500 करोड़ के अलावा भी कंपनी पर काफी कर्ज था। इसके अलावा एजेंट और यात्री रिफंड के हजारों करोड़ रुपये बकाया थे।
 
एयर सहारा का अधिग्रहण और उसके दुष्परिणाम: 2007 में जेट एयरवेज ने एयर सहारा का 2200 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण के बाद कंपनी पर आर्थिक बोझ और बढ़ गया। 2008 की वैश्विक मंदी के दौर में इस वित्तीय भार का नकारात्मक असर पड़ा।
 
इंडिगो के साथ प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना : कम बजट वाली एयरलाइन इंडिगो के साथ प्राइस वार के चलते जेट एयरवेज अपने मार्केट शेयर में पिछड़ गई। कंपनी के पास ग्राहकों को सस्ते टिकट ऑफर करने की क्षमता नहीं थी, और इससे इसे काफी नुकसान हुआ।
 
जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान : जेट एयरवेज ने अपनी आखिरी उड़ान 17 अप्रैल, 2019 को भरी। उसके बाद से परिचालन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया और इसे पुनर्जीवित करने के लिए कोई सफल योजना नहीं बन सकी। एयरलाइन का परिचालन ठप होने के बाद से करीब 20,000 से अधिक नौकरियां जा चुकी हैं और ऋणदाताओं, विक्रेताओं और यात्रियों का हजारों करोड़ रुपये का बकाया दिवाला समाधान की प्रतीक्षा में डूब गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने एयरलाइन के परिसमापन के आदेश से एयरलाइन के अस्तव्यस्त सफर का औपचारिक समापन हो गया।
 
1.48 लाख निवेशकों को हुआ नुकसान : कंपनी दिवालिया होने की स्थिति में संपत्तियों की बिकवाली से मिलने वाली राशि पहले कर्जदाता बैंकों को मिलती है। इसके बाद शेयर होल्डर्स का नंबर आता है। 1.48 लाख रिटेल निवेशकों के पास कंपनी में 19.29 फीसदी हिस्सेदारी है। पीएनबी की 26 फीसदी, एनिहाद एयरवेज की 24 फीसदी और प्रमोटर्स की 25 फीसदी हिस्सेदारी है। आज कंपनी की बुक वैल्यू माइनस 1541 रुपए है। इसलिए निवेशकों को कुछ नहीं मिलेगा। निवेशकों के नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 28 अप्रैल 2005 में कंपनी के एक शेयर की वैल्यू 1382.75 रुपए थी। आज एक शेयर की कीमत मात्र 34 रुपए हैं। उस समय कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 10,765 करोड़ रुपए था। अब यह मात्र 427 करोड़ रुपए रह गया है।
 
भारी पड़ा एयर सहारा का अधिग्रहण : जेट एयरवेज ने 2007 में 2200 करोड़ रूपए में एयर सहारा का अधिग्रहण किया। कहा जाता है कि कंपनी एयर सहारा की सही कीमत का आकलन करने में चूक गई। इसके बाद कंपनी ने अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानों की संख्या में तेजी से वृद्धि की। 2008 की वैश्विक मंदी में कंपनी पर आर्थिक बोझ काफी बढ़ गया। जबकि कमाई भी घट गई।
 
2016 में 300 से ज्यादा उड़ानें : 2016 में जेट एयरवेज के बेड़े में 178 विमान थे और यह देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी थी। कंपनी की 74 से ज्यादा डेस्टिनेशन के लिए 300 से ज्यादा उड़ानें थी। अपने चरम पर इसमें लगभग 1,300 पायलट समेत लगभग 20,000 कर्मचारी थे। 
 
इंडिगो के साथ प्राइस वार में पिछड़ी : नरेश गोयल द्वारा स्थापित इस एयरलाइन ने ढाई दशक से अधिक समय तक करोड़ों यात्रियों को सेवा प्रदान की है। गोयल ने यात्रा एजेंसी जेटएयर के साथ कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के लिए एक सामान्य बिक्री एजेंट के रूप में शुरुआत की थी। जेट एयरवेज भी भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रमुख निजी एयरलाइन में से एक थी, लेकिन वित्तीय संकट के कारण इसका पतन शुरू हो गया। आर्थिक संकट से जूझ रही कंपनी इंडिगो के साथ प्राइस वार में पिछड़ गई और कर्ज में डूबती चली गई। 
 
2019 में भरी थी आखिरी उड़ान : एयरलाइन की आखिरी उड़ान एस2-3502 अमृतसर से 17 अप्रैल, 2019 को रात करीब 10.30 बजे रवाना हुई और 18 अप्रैल को तड़के 12.22 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। जेट एयरवेज की किफायती इकाई जेटलाइट ने बोइंग 737-800 विमान के साथ उड़ानों का संचालन किया, जिसे बाद में किफायती एयरलाइन स्पाइसजेट ने पट्टे पर ले लिया।
 
अपने परिचालन के चरम के दौरान जेट एयरवेज के पास 120 से ज्यादा विमान थे। बढ़ते कर्ज और कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं होने के चलते जब एयरलाइन ने परिचालन बंद किया था तो उसके पास अपने खुद के 16 विमान थे।
 
इस तरह खत्म हुई आखिरी उम्मीद :  जेट एयरवेज द्वारा 17 अप्रैल, 2019 को परिचालन बंद करने के कुछ सप्ताह बाद ऋणदाताओं ने अपना बकाया वसूलने के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया की मांग की। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 20 जून, 2019 को एयरलाइन के खिलाफ दायर दिवाला याचिका को स्वीकार कर लिया।
 
जालान कलरॉक गठजोड़ (जेकेसी) 2021 में दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत जेट एयरवेज के सफल बोलीदाता के रूप में उभरा, लेकिन ऋणदाताओं के साथ लगातार मतभेदों के परिणामस्वरूप समाधान योजना धरी की धरी रह गई। परिसमापन के अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने सफल बोलीदाता जेकेसी द्वारा डाले गए 200 करोड़ रुपए जब्त करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं को 150 करोड़ रुपए की निष्पादन बैंक गारंटी भुनाने की भी अनुमति दी है।
 
अदालत ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। एनसीएलएटी ने जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखा था।एयरलाइन के ठप होने के इतने वर्षों के बाद जो कुछ बचा है वह है... बाधित आजीविका, बकाया राशि का भुगतान न होना और धूल खाते हुए जेट एयरवेज की छवि वाले कुछ विमान।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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