Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

खुशखबर, 'V आकार’ का सुधार दर्ज कर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था

खुशखबर, 'V आकार’ का सुधार दर्ज कर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
, गुरुवार, 3 दिसंबर 2020 (17:55 IST)
नई दिल्ली। भारत अर्थव्यवस्था में ‘वी आकार’ यानी तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है और जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इससे पिछली तिमाही की तुलना में 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में यह निष्कर्ष सामने आया है। वी-आकार की वृद्धि से तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट के बाद तेजी से सुधार से होता है।
 
चालू वित्त वर्ष की दूसरी यानी जुलाई-सितंबर की तिमाही में जीडीपी में 1 साल पहले की इसी तिमाही के मुकाबले गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है। पहली अप्रैल-जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। समीक्षा में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
 
नवंबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘2020-21 के मध्य में वी-आकार की वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता का पता चलता है। अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाए जाने के बाद यह आगे बढ़ रही है। इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत मिशन की वजह से भी अर्थव्यवस्था पुनरोद्धार की राह पर है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक कृषि क्षेत्र से समर्थन मिल रहा है। इसके बाद निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र भी अर्थव्यवस्था को समर्थन दे रहे हैं। संपर्क की दृष्टि से संवेदनशील सेवा क्षेत्र ने भी इसमें योगदान दिया है। हालांकि उसका यह योगदान मुख्य रूप से लॉजिस्टिक्स और संचार के रूप में है।
 
रिपोर्ट कहती है कि हालिया त्योहारी मौसम की वजह से कोविड-19 संक्रमण के नए मामले बढ़े थे। हालांकि अब इसमें फिर गिरावट आने लगी है। अन्य देशों में भी कुछ इसी तरह का रुख दिख रहा है।
 
मासिक समीक्षा में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर के महीनों में वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति थी। वैश्विक कुल पीएमआई और वस्तुओं के व्यापार में सुस्त वृद्धि दिख रही है, वहीं दुनियाभर में ऊर्जा और धातु की कीमतें अलग-अलग दिशा में बढ़ी हैं, जिससे अनिश्चितता भी और बढ़ी है।
 
रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति नरम पड़ी है जबकि उभरते बाजारों में यह बढ़ रही है। इससे पता चलता है कि इन देशों पर आपूर्ति पक्ष की अड़चनों का प्रभाव अधिक पड़ा है।  (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मास्क न पहनने पर कोविड वार्ड में काम करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने लगाई रोक