e-bill mandatory : सरकार अगले 2-3 वर्षों में सभी व्यवसायों के लिए 'व्यवसाय से उपभोक्ता' (B2C) लेनदेन पर इलेक्ट्रॉनिक (electronic) या ई-बिल (e-bills) जारी करना अनिवार्य कर सकती है। वर्तमान में 5 करोड़ रुपए और उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों का 'व्यवसाय से व्यवसाय' (B2B) बिक्री व खरीद के लिए ई-बिल जारी करना अनिवार्य है। सरकार बी2सी लेनदेन के लिए ई-बिल अनिवार्य करने की योजना बना रही है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य-जीएसटी शशांक प्रिया ने कहा कि जीएसटी प्रणालियों को उन्नत बनाने और बी2सी (व्यवसाय से उपभोक्ता) लेनदेन के लिए ई-बिल अनिवार्य करने पर काम जारी है।
एसोचैम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम बी2सी के लिए ई-बिल की आवश्यकता पर विचार कर रहे हैं। जीएसटीएन क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है। प्रणाली तैयार करनी होगी। हमें यह देखना होगा कि वे कौन से क्षेत्र हैं जहां से इसकी शुरुआत की जा सकती है। इस पर काम प्रगति पर है। हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हम इसे आगे ले जाने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा कि 5 से 10 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाले व्यवसाय भी पूरी तरह से ई-बिल जारी नहीं कर रहे हैं। हालांकि सीबीआईसी अधिकारी अनुपालन न करने वाले व्यवसायों पर अंकुश लगा रहे हैं। 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियां बी2बी (व्यवसाय से व्यवसाय) ई-बिल जारी कर रहीं थी। 1 अप्रैल 2022 से इस सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपए कर दिया गया। 1 अक्टूबर 2022 से इस सीमा को 10 करोड़ रुपए और 1 अगस्त 2023 से 5 करोड़ रुपए कर दिया गया।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta