नई दिल्ली। फेसबुक और जियो तालमेल एवं सहयोग के क्षेत्रों में आगे बढ़ेंगे, लेकिन दोनों कंपनियों के बीच हुए सौदे का यह अर्थ नहीं है कि दोनों पक्ष बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगे।
भारत में फेसबुक के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि इस गठजोड़ की बनावट विशिष्ट नहीं है। फेसबुक ने जियो प्लेटफार्म्स में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने के लिए 43,574 करोड़ रुपए का निवेश करने की घोषणा की है।
मोहन ने कहा कि दोनों पक्ष ‘वास्तव में मानते हैं’ कि उनके बीच साथ मिलकर काम करने और आर्थिक विस्तार के रोमांचक अवसर हैं और इसके तहत पहले छोटे व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
यह पूछने पर कि क्या फेसबुक अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसी दूसरी खुदरा कंपनियों के साथ साझेदारी करने पर भी विचार कर सकता है, मोहन ने कहा कि 'प्लेटफार्म खुले हैं... यह विशेष नहीं है और इसका मतलब किसी को दूर रखना नहीं है।’’
सौदे के बारे में रिलायंस जियो के रणनीति प्रमुख अंशुमान ठाकुर ने कहा कि इस वक्त, हमने व्यापारी, एसएमई (छोटे और मध्यम उद्यम) व्यापार की पहचान की है, जहां हम सहयोग कर सकते हैं और हमें व्हाट्सएप से फायदा मिल सकता है... हम इसी तरह उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे, जहां हमारी दक्षता एक दूसरे की अधिक पूरक हो सकती है, लेकिन इस निवेश या साझेदारी का मतलब यह नहीं है कि हम बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसी चीजें भी होंगी, जहां हम बाजार में सीधे एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। संस्थाएं हर मामले में एक दूसरे से स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि यह सौदा किसी भी तरह से कंपनियों के बिजनेस मॉडल में बदलाव नहीं करता है।
ठाकुर ने कहा कि हमारे पास अपने उत्पादों और सेवाओं का सेट है, उसी तरह जैसे फेसबुक के पास उत्पादों और सेवाओं का अपना सेट है और हम अपनी संबंधित कंपनियों के लिए इनका सबसे अच्छा उपयोग करने जा रहे हैं। सौदा पूरा होने के बाद निवेश की गई राशि में 15,000 करोड़ रुपए जियो प्लेटफार्म्स लिमिटेड के पास रहेंगे, जबकि शेष राशि का इस्तेमाल रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ओसीपीएस (वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयरों) को चुकाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मायने में पूरी राशि का इस्तेमाल समूह के कर्ज को कम करने में होगा। (भाषा)