नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी सिर्फ व्यावसायिक वाहनों के लिए उपलब्ध होगी। निजी उपयोग के वाहनों को सब्सिडी योजना में शामिल नहीं किया जाएगा।
केंद्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि चाहे बाइक हो, कार हो, ट्रक हो, बस हो या ई-रिक्शा हो, सरकार का अनुमान है कि इन सभी श्रेणियों में देश इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएगा। उन्होंने कहा कि पेरिस संधि के तहत कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए यह बदलाव आवश्यक है।
मेघवाल ने 'भारत-ब्रिटेन मोबिलिटी फोरम 2019' में यहां कहा कि सरकार ने वाणिज्यिक वाहन मालिकों के जरिए इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने की नीयत साफ कर दी है और सिर्फ उन्हें ही प्रोत्साहन मिलेगा। 10 हजार करोड़ रुपए की फेम योजना के तहत व्यावसायिक इस्तेमाल के तिपहिया और चौपहिया वाहनों पर सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी निजी इस्तेमाल के दोपहिया वाहनों पर भी मिलती है।
विभिन्न वाहन कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों को लोकप्रिय बनाने तथा उन्हें किफायती बनाने के लिए निजी इस्तेमाल वाले वाहनों पर भी सब्सिडी देने की मांग कर रही हैं। मेघवाल ने इलेक्ट्रिक वाहनों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों को साफ पर्यावरण देने के लिए यही एकमात्र जरिया है।
उन्होंने कहा कि हमें पेरिस संधि के तहत कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना होगा। भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह सही रहेगा कि उन्हें धुआंरहित पर्यावरण मिले, यह हमारा लक्ष्य है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि बड़े तथा स्मार्ट शहरों में वाहनों को चार्ज करने की संरचना विकसित करने के लिए निकायों से प्रस्ताव मंगाए गए हैं। 2011 की जनगणना के आधार पर 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में चार्जिंग संरचना विकसित करने के उद्देश्य से प्रस्ताव मंगाए गए हैं। शुरुआत में इसके जरिए 1,000 चार्जिंग स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य है।
मेघवाल ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक हाईवे भी बनाना चाहती है। हम इस बारे में काम कर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से न सिर्फ वायु प्रदूषण कम होगा बल्कि आयात का खर्च भी कम होगा। (भाषा)