नई दिल्ली। भारत में कोविड महामारी की दूसरी लहर और उसके साथ शहरों एवं राज्यों में लगे प्रतिबंधों की वजह से बीते अप्रैल महीने में ऑटो ईंधन की मांग में 20-25% की कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कंसल्टेंसी वुड मैकेंजी ने गुरुवार को अनुमान लगाया कि देशभर में एक साथ लॉकडाउन न लगाए जाने की वजह से तेल की मांग पर असर हल्का है।
भारत में कोविड संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा और पिछले दो हफ्तों से लगातार हर दिन 3 लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।
कंसल्टेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सभी क्षेत्रों के प्रभावित होने के साथ इसका अपरिहार्य रूप से देश के ऊर्जा बाजारों पर असर पड़ रहा है। हालांकि 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की तरह इस बार लॉकडाउन न लगाए जाने की वजह से ऊर्जा की मांग अब तक अपेक्षाकृत रूप से मजबूत साबित हुई है जबकि 12 महीने पहले की तुलना में इस बार संक्रमण की गंभीरता का स्तर कहीं ज्यादा है।
कंसल्टेंसी ने कोविड महामारी की दूसरी लहर की वजह से 2021 में भारत की जीडीपी का पूर्वाकलन पहले के 9.9 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया, लेकिन लॉकडाउन उपायों और आवाजाही से जुड़े प्रतिबंधों के और कड़े किए जाने पर इसमें और कमी आने का खतरा है।
पिछले साल लॉकडाउन के दौरान भारत की इसी तिमाही में तेल की मांग में प्रति दिन 12 लाख बैरल की कमी आई जो करीब 25 प्रतिशत की कमी के बराबर थी। (भाषा)