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फ्रेंकलिन टेम्पलटन के 6 म्यूचुअल फंड योजनाएं बंद करने पर एम्फी ने निवेशकों को दिया भरोसा

फ्रेंकलिन टेम्पलटन के 6 म्यूचुअल फंड योजनाएं बंद करने पर एम्फी ने निवेशकों को दिया भरोसा
, शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (14:47 IST)
नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड उद्योग की संस्था 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (एम्फी) ने शुक्रवार को निवेशकों को भरोसा दिलाया कि ज्यादातर निश्चित आय वाली म्यूचुअल फंड परिसंपत्तियों को बेहतर ऋण गुणवत्ता वाली प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है और इन योजनाओं के पास बेहतर परिचालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नकदी है।
इससे पहले फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने एक अभूतपूर्व कदम के तहत स्वेच्छा से अपनी 6 ऋण योजनाओं को बंद करने का फैसला किया था। ऐसा कोरोना वायरस महामारी के चलते यूनिट वापस लेने के दबाव और बॉन्ड बाजार में नकदी की कमी का हवाला देकर किया गया। इसके चलते ही एम्फी ने यह बयान दिया।
 
एम्फी ने एक बयान में कहा कि निवेशकों को अपने निवेश लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। उद्योग निकाय ने यह परामर्श भी दिया कि एक कंपनी की कुछ योजनाओं के बंद होने से विचलित नहीं होना चाहिए।
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एम्फी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पूरे म्यूचुअल फंड उद्योग में निश्चित आय वाले फंड अपना सामान्य संचालन जारी रखेंगे। फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने जिन योजनाओं को बंद किया, वे हैं- फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इंकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड।
 
फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ ने गुरुवार को देर शाम बयान में कहा कि कोविड-19 संकट और भारतीय अर्थव्यवस्था के लॉकडाउन के चलते कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार के कुछ खंड में नाटकीय रूप से और लगातार नकदी में गिरावट आई है जिससे निपटना जरूरी है। ऐसे में म्यूचुअल फंड, खासतौर से निश्चित आय खंड में लगातार युनिट वापस लेने के दबाव का सामना कर रहे हैं।
 
एम्फी ने कहा कि इन 6 योजनाओं के प्रबंधन (एयूएम) के तहत कुल परिसंपत्ति 31 मार्च 2020 तक भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के कुल एयूएम के 1.4 प्रतिशत से कम थी। बयान में कहा गया कि ज्यादातर म्यूचुअल फंडों की फिक्स्ड इनकम योजनाओं में बेहतर ऋण गुणवत्ता होती है जिसकी पुष्टि स्वतंत्र क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा की जाती है और इनमें चुनौतीपूर्ण समय में भी काफी नकदी बनी रहती है। (भाषा)

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