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'आधार' मामले में एयरटेल के ग्राहकों के‍ लिए जरूरी खबर...

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शुक्रवार, 30 मार्च 2018 (23:04 IST)
नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने भारती एयरटेल को अपने मोबाइल ग्राहकों का सत्यापन आधार के जरिए करने के अधिकार को बहाल कर दिया है। हालांकि कंपनी को यह मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी गई है।


एयरटेल को आधार कानून के अनुपालन को लेकर तिमाही रिपोर्ट देनी होगी तथा समय-समय पर प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यूआईडीएआई ने एयरटेल पेमेंट बैंक को ई-केवाईसी के लिए आधार के प्रयोग की सुविधा बहाल नहीं की है। दिसंबर में एयरटेल का आधार का इस्तेमाल करने के बाद प्राधिकरण ने उसे कुछ समय के लिए इस सुविधा के इस्तेमाल की छूट दे रखी थी।

सूत्र ने कहा कि एयरटेल को यह सत्यापन के लिए आधार के उपयोग की अनुमति कुछ शर्तों पर दी गई है। इसके तहत आधार कानून के अनुपालन को लेकर कंपनी को अगले आदेश तक तिमाही रिपोर्ट देनी होगी तथा समय-समय पर प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा। यूआईडीएआई खुद से या ऑडिटर नियुक्त कर रिपोर्ट की जांच कर सकता है।

एयरटेल ने इस बारे में फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। दूरसंचार कंपनी एयरटेल तथा एयरटेल पेमेंट बैंक पिछले साल यूआईडीएआई के निशाने पर आए। सुनील भारती की अगुवाई वाली कंपनी ने अपने बहुत से मोबाइल ग्राहकों की मंजूरी के बिना ही समूह के भुगतान बैंक में उनके खाते और इन खातों में करोड़ों रुपए की एलपीजी सब्सिडी जमा करवा दी गई।

सरकार और यूआईडीएआई ने दिसंबर में इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी को अपने मोबाइल ग्राहकों के सत्यापन तथा पेमेंट बैंक के ग्राहकों के ई-केवाईसी के लिए आधार आधारित पर रोक लगा दी थी। बाद में एयरटेल को कुछ शर्तों के साथ निश्चित अवधि के लिए अपने मोबाइल ग्राहकों के फिर से सत्यापन के लिए आधार के उपयोग को मंजूरी दे दी।

इस ताजा कदम से यूआईडीएआई ने कुछ शर्तों के साथ भारती एयरटेल के ई-केवाईसी लाइसेंस को बहाल कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, यूआईडीएआई चाहता था कि एयरटेल के ग्राहकों को कोई असुविधा नहीं हो। इसके अलावा उसने यह भी पाया कि कंपनी ‘महत्वपूर्ण बातों’ का अनुपालन कर रही और प्राधिकरण को लगातार अद्यतन जानकारी देने की पेशकश की।

इसके बाद उक्त निर्णय किया गया। इसके अलावा दूरसंचार विभाग की ऑडिटर रिपोर्ट पर भी गौर किया गया। प्राधिकरण को यह रिपोर्ट सात मार्च को ये चीजें ऐसे समय प्राप्‍त हुई हैं जब बैंक खातों तथा मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की समय सीमा पहले ही अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दी गई हैं। यह तब तक के लिए बढ़ाया गया जब तक पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले में फैसला नहीं सुनाती। (भाषा) 

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