लाल किताब कहती है रत्न शुभ फल देने की शक्ति रखता है तो अशुभ फल देने की भी इसमें ताकत है। रत्नों के नाकारात्मक फल का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रत्नों को धारण करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। अंगूठी पहनना आपके लिए घातक भी हो सकता है। कई लोगों के हाथ में या कुंडली में गुरु अच्छा है तब भी पुखराज पहन लेते हैं। जरूरी नहीं कि गुरु उच्च का या नीच का हो तो ही पुखराज पहनें। आओ जानते हैं 12 सावधानियां।
1. चंद्र 12वें या 10वें घर में है तो मोती नहीं पहनना चाहिए।
2. राहु 12वें, वें11, 5वें, 8वें या 9वें स्थान पर हो तो गोमेद नहीं पहनना चाहिए।
3. तीसरे और छटे भाव में केतु है तो लहसुनिया नहीं पहनना चाहिए।
4. बुध तीसरे या 12वें हो तो पन्ना नहीं पहनना चाहिए।
5. शनि लग्न, पंचम या 11वें स्थान पर हो तो नीलम नहीं।
6. तीसरे, पांचवें और आठवें स्थान पर शुक्र हो तो हीरा नहीं पहनना चाहिए।
7. धनु लग्न में यदि गुरु लग्न में है तो पुखराज या सोना केवल गले में ही धारण करना चाहिए हाथों में नहीं। यदि हाथों में पहनेंगे तो ये ग्रह कुंडली के तीसरे घर में स्थापित हो जाएंगे।
9. कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। लेकिन जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा।
10. बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा, हाथ में धारण करने से नुकसान होगा।
12. वारवां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। खालिस लोहे का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है। अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा।