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गृह कलह के 10 कारण और 5 निवारण

गृह कलह के 10 कारण और 5 निवारण

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 17 फ़रवरी 2020 (15:57 IST)
वर्तमान युग में अधिकतर घरों में गृह कलह या लड़ाई झगड़े आम बात हो चली है। इसके चलते घर एक धर्मशाला या शरणार्थी शिविर जैसा बन जाता है। जहां लोग बस सोने, खाने, पीने और रहने के लिए रहते हैं। इसके क्या कारण है और इसका समाधान क्या है आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
 
 
1.कारण : गृह कलह के मुख्यत: 10 कारण है। 1.आपस में प्रेम नहीं होना, 2.वैचारिक मतभेद होना, 3.पितृ दोष होना, 4.शराब, सिगरेट आदि व्यसनों का सेवन करना, 6.ग्रह दोष, 7.घर की महिलाओं का अनादर करना, 8.संस्कारों का अभाव, 9. धन का नाश होना, 10. खुद को घर का मुखिया समझकर अन्य सदस्यों पर हुकूम चलाना।
 
 
2.नुकसान : घर में क्रोध, कलह और रोना-धोना आर्थिक समृद्धि व ऐश्वर्य का नाश कर देता है। परिवार बिखर जाता है। रोग पीछे लग जाता है और घटना एवं दुर्घटनाएं बढ़ जाती है। व्यक्ति में हत्या या आत्म हत्या की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसलिए घर में कलह-क्लेश पैदा न होने दें।

 
3. निवारण के 5 उपाय :
 
1. आपस में प्रेम और प्यार बनाए रखने के लिए एक दूसरे की भावनाओं को समझे और परिवार के लोगों को सुनने और समझने की क्षमता बढ़ाएं। अपने विचारों के अनुसार घर चलाने का प्रयास न करें। सभी के विचारों का सम्मान करें। अपने कर्म को सुधारें, क्रोध और शराब को छोड़कर परिवार में परस्पर प्रेम की स्थापना करें।
 
 
2. कर्पूर की रोज गुग्गल की गुरुवार को और गुड़-घी की तेरस, चौदस एवं अमावस्य को सुबह और शाम को धूप दें। सुगंधित वातावरण रखने से मन में शांति उत्पन्न होती है।
 
 
3. प्रतिदिन हनुमानन चालीसा का पाठ करें। इसे घर से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियां बाहर हो जाएगी और घर में सुख शांति स्थापित होगी।
 
 
4. श्राद्ध पक्ष के दिनों में तर्पण आदि कर्म करना और पूर्वजों के प्रति मन में श्रद्धा रखना चाहिए। कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए। पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। कुल कुटुंब के सभी लोगों से बराबर मात्रा में सिक्के लेकर उसे मंदिर में दान कर देना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है।
 
 
5. घर का वास्तु सुधारे और ईशान कोण को मजबूत एवं वास्तु अनुसार बनाएं। दक्षिणमुखी मकान में कदापी नहीं रहना चाहिए। एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।

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