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यदि आप अं‍तरिक्ष की सैर कर रहे हों और अचानक ब्लैक होल में गिर पड़ें तो क्या होगा?

यदि आप अं‍तरिक्ष की सैर कर रहे हों और अचानक ब्लैक होल में गिर पड़ें तो क्या होगा?
, मंगलवार, 10 सितम्बर 2019 (15:58 IST)
ब्लैक होल को हिन्दी में कृष्ण विवर कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि ब्लैक होल क्या होता है? नहीं, तो चलिए पहले ये जान लेते हैं कि यह क्या होता है। फिर यह जानेंगे कि यदि आपको किसी भी तरह से ब्लैक होल में फेंक दिया जाए या आप उसमें गिर पड़े तो क्या होगा?
 
 
ब्लैक होल क्या है?
ब्लैक होल स्पेस में वह जगह है जहां भौतिक का कोई नियम काम नहीं करता। मतलब समय और स्थान का कोई मतलब नहीं है। यहां बस गुरुत्वाकर्षण और अंधकार है। इसका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं। इसके खिंचाव से यह प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। मतलब यह कि इसमें जो भी डाला, वह बाहर नहीं निकलेगा।
 
 
आप इसे इस तरह समझें कि जब हम किसी टॉर्च से प्रकाश डालते हैं तो वह प्रकाश रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों पर आता है तभी वह चीज हमें दिखाई देती है, लेकिन यदि मान लो कि प्रकाश वापस लौट कर ही नहीं आया तो वह जगह ब्लैक होल हो सकती है। ऐसा ही स्पेस में होता है।
 
 
दरअसल, जब कोई विशाल तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह अपने ही भीतर सिमटने लगता है। धीरे-धीरे वह भारी भरकम ब्लैक होल बन जाता है और फिर उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी बड़ जाती है कि उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाला हर ग्रह उसकी ओर खिंचाकर अंदर चला जाता है। वह सब कुछ अपने में निगलने लगता है। इसके प्रभाव क्षेत्र को ही इवेंट हॉराइजन कहते हैं। किसी भी चीज का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है।
 
 
स्टीफन हॉकिंग के अनुसार इसके बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइजन कहते हैं। स्टीफन हॉकिंग की खोज के मुताबिक हॉकिंग रेडिएशन के चलते एक दिन ब्लैक होल पूरी तरह द्रव्यमान मुक्त हो कर गायब हो जाता है। ब्लैक होल की खोज कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने की थी।
 
 
यदि आप ब्लैक होल में चले जाएं तो क्या होगा? 
यह हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आ जाएं और उसमें गिर जाएं। ऐसे में आपके साथ क्या होगा, इसकी कई संभावनाएं हैं।
 
 
पहली संभावना : ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है। उस सीमा को घटना क्षितिज कहा जाता है। उसमें वस्तुएं गिर तो सकती है लेकिन बाहर कभी भी नहीं आ सकती है। यदि आप ब्लैक होल में गिरे तो हॉकिंग रेडिएशन के चलते ब्लैक होल के अंधकार तक पहुंचने से पहले ही आप राख में तब्दील हो जाएंगे।
 
 
दूसरी संभावना : इवेंट हॉराइजन यानी कि ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण की सीमा आस-पास भी आप आ गए तो भी उसके खिंचाव के कारण आपका शरीर लंबा, चौड़ा और विकृत तरीके से असाधारण हो जाएगा और इस परिस्थिति में भी आपकी मौत हो जाएगी।
 
 
तीसरी संभावना : यदि आप बिना किसी नुकसान को झेले ब्लैक होल में फंस चले गए तो यहां पहुंचने के बाद क्या होगा, कोई नहीं जानता। क्या कोई दूसरा ब्रह्मांह आ जाएगा या फिर आप किसी ऐसी दुनिया में पहुंच जाएंगे तो बहुत ही अजीब हो। हालांकि यह रहस्य अब तक बना हुआ है कि ब्लैक होल के पार क्या?
 
चौथी संभावना : ब्लैक होल में गिरने पर आप बिना किसी झटके के, ब्लैक होल में गिरते चले जाएंगे। इसे आइंस्टाइन ने 'हैप्पीएस्ट थॉट' कहा है। मतलब एकदम फ्री फॉल। ऐसे में यदि ब्लैक होल का आकार छोटा हुआ तो आपको दिक्कत हो सकती है। गुरुत्वाकर्षण का बल तब आपके पांव में ज्यादा महसूस होगा, सिर के बजाए। लेकिन मान लेते हैं कि ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से भी काफी बड़ा है तो आप अपना पूरा जीवन सामान्य तौर पर तब तक बिता सकते हैं जब तक की आप भूख-प्यास से मर नहीं जाते।
 
 
हालांकि इसमें एक दिक्कत यह है कि बड़े ब्लैक होल में स्पेस और टाइम का कोई मतलब नहीं होगा। आपकी कोई इच्छा काम नहीं करेगी। आप दूसरी ओर पलट भी नहीं सकते हैं। यानी साफ है कि आप ब्लैक होल को छोड़कर भाग नहीं सकते हैं। भौतिक विज्ञान के नियमों के मुताबिक आप हॉराइजन के अंदर सीधे जा रहे हैं, बिना गर्म कणों से टकराते हुए। नहीं तो आइंस्टाइन के हैप्पीएस्ट थॉट और सापेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। 
 
निष्कर्ष : मतलब यह कि एक बात तो स्पष्ट है कि ब्लैक होल में गिरने के बाद आप ब्लैक होल की बाहरी सतह पर जल कर राख हो सकते हैं या फिर उसके अंदर आसानी से पहुंचकर अनंत गहराइयों में खो सकते हैं।
 
 
-अनिरुद्ध

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