Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

रक्षाबंधन पर कहानी : बहादुर भैया

रक्षाबंधन पर कहानी : बहादुर भैया
सेठ रघुवीर गाँव के बड़े ही प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनकी पत्नी का देहांत बहुत पहले ही हो गया था, लेकिन दौलत और प्रतिष्ठा से उनमें तनिक अभिमान भी आ गया था और वे गरीब लोगों से बहुत ही नफरत किया करते थे। उनका एक बेटा राजू और बेटी विमला थी, दोनों में बहुत ही स्नेह था।
 
सेठ जी के बगीचे में राधा नाम की एक मालन बग-बगीचे की देखभाल किया करती थी। उसका एक बेटा नंदन था जो विमला और राजू की हमउम्र था। राजू अपने पिता की तरह गुस्सैल मिजाज का होने के कारण नंदन पर रौब जमाया करता था और उससे अपने हर छोटे-मोटे काम करवाया करता था। नंदन भी राजू की हर बात पूरी किया करता था।
 
गाँव में तूफानी बारिश हो रही थी, उस दिन मालन बहुत बीमार पड़ी थी।
 
मालन ने अपने बेटे नंदन से कहा- तुम हवेली जाओ और सेठ जी से कह आना कि आज बीमार होने के कारण मैं हवेली नहीं आ सकूँगी।'
 
नंदन ने कहा ठीक है माँ। ऐसा कहते हुए वह हवेली की तरफ चल पड़ा। बारिश और कीचड़ से बचते-बचाते भी वह आखिर भीग ही गया और जैसे-तैसे हवेली पहुँचा।
 
नंदन दौड़ते-दौड़ते हवेली के अंदर पहुँचा और सेठजी से बोला- सेठजी, आज माँ बहुत बीमार है, वह नहीं आ पाएगी।
 
सेठजी घनघोर बारिश में भी अचानक आग बबूला हो गए। फर्श पर नंदन के जूतों से कीचड़ के निशान बन गए थे। सेठ जी ने आव देखा न ताव और नंदन के गालों पर ऐसे तमाचे जड़े कि वह कुछ देर तक तो समझ ही नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है।
 
सेठजी ने नंदन से कहा- कह देना अपनी माँ से कल से हवेली में आने की कोई जरूरत नहीं है।
 
नंदन सिसकता हुआ घर पहुँचा। माँ ने नंदन से रोने का कारण पूछा तो नंदन ने सारा हाल कह सुनाया।
 
माँ ने अपने बेटे नंदन से कहा- बेटा रो नहीं, इसमें तेरी कोई गलती नहीं। धन-दौलत का अभिमान ही ऐसा होता है। लंदन मन ही मन बड़ा अपमानित महसूस कर रहा था सावन का महीना था पूरे गाँव में झूलों और मेलों की बहार थी और अगले ही दिन राखी भी आने वाली थी।
 
विमला- राजू भइया इस बार राखी बँधाई पर कोई ऐसा-वैसा तोहफा नहीं चलेगा मुझे कुछ अलग हटकर चाहिए।
 
राजू बड़े रुआब से बोला- 'विमला, तुम फिक्र न करो, तुम्हें शहर से बहुत बढ़िया तोहफा लाकर दूँगा। ऐसा कहकर राजू ने फौरन जीप तैयार करवाई और शहर की ओर चल पड़ा।
 
रिमझिम बारिश अचानक तेज हो गई, आसमान से पानी की गिरती बूँदों ने बड़ा आकार ले लिया और बारिश ने तूफानी रूप ले लिया। अभी राजू की जीप गाँव की सीमा के पार ही पहुँची होगी कि वे तूफानी बरसात में फँस गए। पास ही नंदन का घर था। नंदन ने कुछ आहट सुनी और देखा बाहर राजू की जीप फँसी हुई है और चढ़ रहे नाले के पानी में राजू और ड्राइवर डूबे जा रहे थे। नंदन हैरान था फिर भी उसने बहादुरी से काम लिया।
 
नंदन ने जैसे ही उन्हें देखा तुरंत वे अपने घर से बड़ी सी रस्सियाँ ले आया और रस्सियों को पास के ही एक पेड़ से बाँध कर उनके सिरे राजू और ड्राइवर की तरफ फेंके। रस्सी की मदद से दोनों नाले के पानी से निकलकर बाहर आ गए। नंदन राजू और ड्राइवर को अपने घर ले गया। इधर सेठ जी बड़े परेशान थे। घनघोर बारिश हो रही थी और रात भी काफी हो चुकी थी लेकिन राजू अभी तक शहर में नहीं लौटा था।
 
विमला का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार कहे जा रही थी कि भइया जल्दी आ जाओ। सेठ जी ने तुरंत अपने नौकरों को शहर रवाना कर दिया। विमला की हालत भी इधर बहुत खराब थी। कुछ ही देर बाद सेठजी का एक नौकर आया और उसने सूचना दी कि गाँव के बाहर वाले नाले में जीप मिली है। राजू और ड्राइवर का कोई पता नहीं है। फिर क्या था सभी ने यह मान लिया कि वे दोनों बहते नाले के पानी की बली चढ़ गए होंगे।
 
दूसरे दिन राखी थी लेकिन सेठ की हवेली में तो मातम पसरा हुआ था। विमला को अभी तक कुछ भी नहीं बताया गया था। सेठ जी अपने आँसू छुपाने की लाख कोशिश कर रहे थे लेकिन वह विमला को गले लगाकर रो ही पड़े और बोले बेटी तेरा भइया अब कभी नहीं आएगा। सेठ जी के इतने ही शब्द थे कि एकदम राजू को वहाँ देखकर सभी हैरान हो गए। सेठ जी तो एक पल के लिए किसी चीज पर यकीन ही नहीं कर पाए लेकिन जब रााजू ने नंदन के बारे में सारी बात बताई तो सेठ को अपने बुरे व्यवहार के कारण बहुत दुख हुआ।
 
सेठ जी ने अपने नौकरों को तुरंत नंदन के घर उसे और उसकी माँ को सम्मान सहित लाने के लिए कहा। उन दोनों को सम्मान के साथ हवेली में लाया गया।
 
राखी की तैयारी हो चुकी थी अब तो विमला ने अपनी थाली सजा ली थी राजू राखी बँधवाने के लिए बैठा ही था कि विमला ने तुरंत अपने पिता से नंदन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि पिताजी, मेरा एक नहीं, अब दो-दो भाई है। सेठ जी ने तुरंत नंदन को भी बुलाया और विमला ने दोनों को राखी बाँधी।
 
सेठ जी ने नंदन की माँ से कहा आप आज से मेरी बड़ी बहन हैं, और बहादुर नंदन मेरे बेटे के समान है। आज से आप विमला की बुआ बनकर इस हवेली में रहेंगी।
 
विमला ने कहा- पिताजी आज मेरे लिए रक्षाबंधन के दिन इससे बड़ा और महान तोहफा कोई हो ही नहीं सकता कि मुझे एक और बहादुर भाई मिल गया।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

सिर्फ धागा नहीं है यह रेशम डोर ...