Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Interesting Story : जानिए आखिर कौन थे हकीम लुकमान, प्रेरक प्रसंग

Webdunia
हकीम लुकमान का जन्म 1100 ईसा पूर्व हुआ था । वे भारत के आयुर्वेद चिकित्सक चरक के समकालीन थे । कहा जाता है कि वे पेड़ पौधों से भी बातें करते थे । पेड़ पौधे स्वंय अपने औषधीय गुणों से उन्हें वाकिफ कराते थे । पूरे अरब में उनके जैसा कोई चिकित्सक नहीं था।वे यूनानी चिकित्सा प्रणाली के जनक माने जाते हैं । उन्होंने हर तरह के रोग की दवा इजाद की थी । केवल एक रोग की दवा वे जीवन पर्यंत नहीं ढूंढ पाए थे। वह रोग था शक। शक की दवा आज भी इजाद नहीं हो पाई है। यह किस्सा एक मुहावरे के रुप में आज भी विद्यमान है। आज भी हम कहते हैं - शक की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी।
 
एक बार हकीम लुकमान ने अपना विशेष दूत उस समय के सुप्रसिद्ध भारतीय चिकित्सक चरक के पास भेजा । उस दूत को ताकीद कर दी थी कि वह अपनी हर रात इमली के पेड़ के नीचे गुजारे । वह दूत हकीम लुकमान के कहे अनुसार अपनी हर रात इमली के पेड़ के नीचे गुजारता गया। जब वह चरक के पास पहुंचा तो उसके पूरे शरीर पर फफोले ही फफोले थे। उस दूत ने चरक को हकीम लुकमान का संदेश दिया। लेकिन उस कागज में कुछ नहीं लिखा था। यह देख चरक के चेहरे पर मुस्कान खिल गयी। उन्होंने उस दूत की बड़ी आवभगत की। जब दूत चलने लगा तो चरक ने भी उसे एक संदेश दिया।
 
साथ में उस दूत को ताकीद भी की कि वह अपनी हर रात नीम के पेड़ के नीचे गुजारते हुए जाए। दूत ने वैसा ही किया। जब वह हकीम लुकमान के पास पहुंचा तो उसके फफोले गायब हो चुके थे। हकीम लुकमान ने वह संदेश खोला तो उसमें चरक ने भी कुछ नहीं लिखा था । इस तरह से बिना लिखे, बिना बताए दोनों चिकित्सकों ने एक दूसरे से यह जानकारी साझा कर ली थी कि इमली के पेड़ के नीचे सोने से फफोले होते हैं और नीम के पेड़ के नीचे सोने से वे दूर हो जाते हैं।
 
हकीम लुकमान द्वारा दी गई नसीहत कुरान में दर्ज की गई है। अंतिम नसीहत उन्होंने अपने बेटे को दी थी। उस समय वे मृत्यु शैय्या पर लेटे हुए थे। उन्होंने अपने बेटे से एक हाथ में चंदन का बुरादा और दूसरे हाथ में कोयले का बुरादा लेने को कहा। कुछ देर बाद दोनों पदार्थों को फेंक देने को कहा। बेटे द्वारा फेंक देने के बावजूद उसकी चंदन के बुरादे वाली हथेली महक रही थी, जबकि कोयले वाली हथेली से कोयले की बू आ रही थी। एक की बू खुशबू थी तो दूसरे की बू बदबू थी । मरने से पहले हकीम लुकमान ने बेटे को नसीहत दी कि सज्जनों की संगति चंदन की खुशबू होती है, दुर्जनों की संगति कोयले की बदबू होती है। इसलिए हमेशा सज्जनों की संगति में ही रहना चाहिए। सज्जन हर वक्त नेक सलाह ही देंगे।
 
हकीम लुकमान के बारे में सर्वमान्य मानता है कि वे अफ्रीका से खरीदे गये गुलाम थे। उन्हें अरब के किसी उमराव ने खरीदा था। एक दिन उमराव ने लुकमान को एक ककड़ी खाने को दी। ककड़ी कड़वी थी। लुकमान ने वह ककड़ी बड़े प्यार से खा ली। उसने अपने मालिक के जरा भी ध्यान में नहीं आने दिया कि यह ककड़ी कड़वी है। मालिक ने जब बाद में वह ककड़ी खाई तो उसे कड़वी लगी। उसने लुकमान से पूछा ," जब ककड़ी कड़वी थी तो तुमने खाई क्यों ? "
 
लुकमान ने जवाब दिया था। आपने हमेशा मुझे खाने को अच्छे स्वादिष्ट फल दिए हैं। एक दिन आपने गलती से एक कड़वा फल दे दिया तो क्या मैं उसे फेंक दूं ? आपके द्वारा मेरे ऊपर किए गए एहसानों का यह अपमान होता ! मुझे आपकी बगिया के फूल पसंद है तो उस फूल के साथ उगने वाले कांटों को भी पसंद करना होगा।
 
उस उमराव ने तत्क्षण ही लुकमान को आजाद कर दिया। उसके बाद ही लुकमान हकीम बने। आज उनके नुस्खों से लोग आराम पा रहे हैं । उनके द्वारा दी गई नसीहत भी आज लोगों को नेक राह दिखा रही हैं।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

दीपावली पार्टी में दमकेंगी आपकी आंखें, इस फेस्टिव सीजन ट्राई करें ये आई मेकअप टिप्स

दीपावली पर 10 लाइन कैसे लिखें? Essay on Diwali in Hindi

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

दिवाली के शुभ अवसर पर कैसे बनाएं नमकीन हेल्दी पोहा चिवड़ा, नोट करें रेसिपी

सभी देखें

नवीनतम

रूप चतुर्दशी पर ये उपाय करने से मिलेगा सुंदरता, स्वास्थ्य और अच्छे रूप का वरदान

Roop Chaudas के दिन इस खास उबटन से निखरेगा आपका चेहरा, दिवाली की रात तक मिलेगा प्राकृतिक Glow

दिवाली पूजन में मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए ये एक चीज चढ़ाना ना भूलें, देवी लक्ष्मी होंगी अत्यंत प्रसन्न

लाओस, जहां सनातन हिन्दू धर्म मुख्‍य धर्म था, आज भी होती है शिवभक्ति

दिवाली कविता : दीपों से दीप जले

આગળનો લેખ
Show comments