कविता : सिक्किम के सुन्दर फूल
-डॉ. परशुराम शुक्ल
हिम पर्वत पर मिलने वाला,
फूल बड़े मतवाले।
छोटी झाड़ी से पौधे तक,
इसके रूप निराले।।
छह हजार मीटर ऊंचाई,
तक यह पाया जाता।
धीमी गति से बढ़कर अपना,
सुंदर रूप सजाता।।
मूल रूप से सिक्किम का है,
सर्दी सहने वाला।
मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,
पौधा बड़ा निराला।।
आते ही गरमी का मौसम,
फूल अनोखे आते।
पहले होते ये घंटी से,
फिर गुलाब हो जाते।।
अंग सभी उपयोगी इसके,
औषधि खूब बनाते।
रोग भयानक लगने वाले,
छूमंतर हो जाते।।
साभार- देवपुत्र
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