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बालगीत : छुट्टी की घंटी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कूद-कूदकर, उछल-उछलकर, 
होता है मस्ती का मन।
जब बजती छुट्टी की घंटी, 
टन-टन-टन-टन, टन-टन-टन-टन।
 
पांच पीरियड तक तो तबीयत,
हरी-भरी-सी रहती है।
पर छठवां आते ही मन में, 
उलटी गिनती चलती है।
 
दस से होकर शुरू पहुंचती,
ताक धिनाधिन, थ्री टू वन।
जब बजती छुट्टी की घंटी...!
 
मैम हमारी सबसे अच्छी,
हंसकर हमें पढ़ाती हैं।
नहीं समझ में आता है तो,
बार-बार समझाती हैं।
 
पढ़ने के तो मजे बहुत हैं,
पर मिलता खुशियों का धन।
जब बजती छुट्टी की घंटी...!
 
लंच बॉक्स में खाना खाते, 
बैठ पेड़ के नीचे हम।
सब बच्चों के बीच बैठतीं, 
हम सबकी टीचर मैडम।
 
पत्तों में से आकर हंसती,
धूप मचलकर छन-छन-छन।
जब बजती छुट्टी की घंटी...!
 

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