बापू पर कविता: सत्य की राह
- राममूरत 'राही'
बापू जैसा बनूंगा मैं,
राह सत्य की चलूंगा मैं।
बम से बंदूकों से नहीं,
बापू जैसा लडूंगा मैं।
जब भी कांटे घेरेंगे,
फूल के जैसा खिलूंगा में।
वतन की खातिर जीता हूं,
वतन की खातिर मरूंगा मैं।
आपस में लड़ना कैसा,
मिलकर सब से रहूंगा मैं।
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