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तिरंगे झंडे पर कविता : लहर-लहर तुम लहरो...

श्रीमती इन्दु पाराशर
हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,
उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो। 
 
तेरा केशरिया रंग, वीर का बाना,
सीखा है इससे, सबने प्राण लुटाना।
 
और श्वेत रंग, जो धवल चांदनी सा है,
वह विश्व-शांति का, सबको संदेशा है।
 
और हरित रंग जो, फैला हरियाली सा,
वह उन्नति ऋद्धि-सिद्धि का, संदेशा है।
 
वह नील चक्र, चौबीस ती‍लियों वाला,
आगे बढ़ने की, बात करे मतवाला।
 
बस बढ़े देश का मान, न हो कुछ बांका,
हमको प्राणों से बढ़कर राष्ट्र-पताका।
 
हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,
उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो। 
 
साभार - बच्चो देश तुम्हारा  
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