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चटपट‍ी-अटपटी मजेदार बाल पहेलियां

कृष्ण वल्लभ पौराणिक
जल से जीवन मुझ में रहता
मैं भी साथ-साथ बहती हूं
जल ना रहता नदी तलहटी
सांस रोक तपती रहती हूं ...1
पौधों, वृक्षों से पैदा हो
निकट तुम्हारे आ जाती हूं
प्रसन्न कर देती हूं सबको
आस-पास जब मंडराती हूं ...2
 
एक सतह रहने की इच्छा
लेकर मैं जिंदा रहता हूं
नदी-झील और ताल-तलैया
झरनों में बैठा रहता हूं ...3
 
पशु-पक्षी हिंसक जीवों को
अपने में बिठला रखता हूं
बच्चे आते खुश हो जाते
इसे देख मैं खुश लगता हूं ...4
 
वायु को स्नान कराता
अपनी दीवारों की तह में
जन तन मन को शीतल करता
चलता जब बिजली से जुड़ मैं ...5
 
उत्तर- 1. नदी की रेत, 2. सुगंध, 3. पानी, 4. चिड़ियाघर, 5. कूलर।
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