जादुई एक गलीचा उतरा
आसमान से छत पर
प्रसून पहुंचा निकट उसी के
लिखा हुआ था उसके ऊपर
आओ! बैठो! और कहो तुम
'उड़ जा! उड़ जा! उड़ जा!'
सैर कराऊं अंतरिक्ष की
लौटूं सुन 'घर ले जा' ...2
प्रसन्न प्रसून चढ़ा गलीचा
बिंदु को संग लेकर
खेली थी वह साथ उसी के
सुबह-सुबह घंटेभर ...3
प्रसून बोला उस पर चढ़ते
'उड़ जा! उड़ जा! उड़ जा!'
उड़ा गलीचा आसमान में
यह जा, वह जा, वह जा ...4
चिपके थे दोनों ही उससे
जादू के ही कारण
हवा जोर से टकराई थी
उड़ने के ही कारण ...5
छोटे-छोटे खेत दिखे थे
पतली सी थीं नदियां
पर्वतराज हिमालय दिखता
बर्फ सजी इक डलिया ...6
तिब्बत का पठार जब देखा
ठंडी हवा चली थी
प्रसून बिंदु निकट हो गए
कुछ गर्मी पहुंची थी ...7
भूख लगी जब उन दोनों को
कहा पेट ने रुक जा
प्रसून बोला तभी जोर से
घर ले जा घर ले जा ...8
लगा उतरने वहीं गलीचा
नीचे तब धरती पर
ले आया कुछ ही मिनटों में
उनको छत तपती पर ...9
कही कहानी जब प्रसून ने
साथी खुश थे सुनकर
अवसर उनको भी मिलता तो
जाते उस पर चढ़कर ...10