हरी-भरी है प्यारी दूब
सबके मन को भाती दूब
आंखों को ठंडाई देती
हमें निकट बुलाती दूब ...1
पैरों नीचे जब यह आती
बड़ी मुलायम लगती दूब
झुक जाती चलते कदमों पर
कदम उठे उठ जाती दूब ...2
पानी जब गिरता वर्षा में
धरती पर छा जाती दूब
सुबह-सुबह ओस बूंद से
रोज नहाती दूब ...3
कभी घिरे हो सभी और से
नहीं लड़ो सिखलाती दूब
झुककर जीवित रहना सीखें
ऐसा पाठ पढ़ाती दूब ...4