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बाल कविता : ठंडा पानी पी लो

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-  डॉ. रोहिताश्व अस्थाना
 
पी लो, पी लो, पी लो।
ठंडा पानी पी लो।।
 
सूरज तपता भोर से,
गरमी लगती जोर।
पूछे कोई मोर से,
पूछे कोई ढोर से।
 
प्यासा कौआ सूखे,
ताल-तलैया भी लो।
 
विद्यालय सब बंद हैं,
हम बच्चे स्वच्छंद हैं।
छुट्टी के दिन आ गए।
और पढ़ाई बंद है।
 
बाबा चलो पहाड़ पर।
अम्मा जी को भी लो।।
 
आओ नाचें-गाएं,
मिलकर मौज मनाएं।
छोड़े चाय-पकौड़े,
ठडी कुल्फी खाएं।
 
छोड़ो रोना-धोना
हंसते-हंसते जी लो।
 
- देवपुत्र

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