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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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क्यों खास है इस साल का करवाचौथ, जानिए विशेष शुभ संयोग

क्यों खास है इस साल का करवाचौथ, जानिए विशेष शुभ संयोग
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आचार्य राजेश कुमार

इस बार करवाचौथ का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। इस बार 70 साल बाद करवाचौथ पर ऐसा योग बन रहा है।  इस बार रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। ज्योतिष के मुताबिक यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे पूजन का फल हजारों गुना अधिक होगा। 
 
करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है। रविवार होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। यह योग चंदमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। पति के लिए व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए यह बेहद फलदायी होगा। ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था।
 
करवा चौथ का सामाजिक पक्ष भी बेहद सशक्त है लेकिन इसके साथ ही इसमें कुछ विरोधाभास भी है। भारतीय समाज में अकसर ज्यादातर व्रत महिलाएं ही रखती हैं। पति की लंबी उम्र के लिए तो पत्नियां व्रत रखती हैं लेकिन पत्नी की लंबी उम्र के लिए पति कभी व्रत नहीं रखते। ना ही समाज और ना ही वेद पुराणों में कहीं भी पतियों को व्रत रखने के लिए कहा गया है।
 
समाज में महिला समर्थकों की आवाज हमेशा इस तरफ उठी है कि अगर पत्नियां पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख सकती हैं तो पति क्यूं नहीं व्रत रखते? लेकिन वहीं कुछ लोग महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले इस व्रत को सही ठहराते हैं। उनके अनुसार महिलाओं का यह व्रत रखना यह दर्शाता है कि महिलाएं पुरुषों का कितना ख्याल रखती हैं। यह महिलाओं के ममतामयी पक्ष को दर्शाता है जो अपने परिवार और पति का हमेशा भला चाहती हैं।
 
आखिर पति क्यूं ना रखें व्रत
 
माना कि परंपरा के अनुसार पतियों का व्रत रखना जरूरी नहीं है लेकिन अगर पति भी पत्नियों के लिए करें तो इससे उनके आपसी संबंधों में मधुरता आ सकती है। मान्यताओं के अनुसार पति के लिए ऐसा कोई व्रत और उपवास नहीं बताया गया है। करवाचौथ के दिन पत्नी का करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं द्वारा मिलकर व्रत की कथा सुनते समय चीनी अथवा मिट्टी के करवे का आदान-प्रदान किया जाता है। घर की बुजुर्ग महिला जैसे ददिया सास, सास, ननद या अन्य सदस्य को बायना, सुहाग सामग्री, फल, मिठाई, मेवा, अन्न, दाल आदि एवं धनराशि देकर और उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया जाता है। इस शुभ परंपरा में पति भागीदार हो सकते हैं इससे पर्व की मिठास और बढ़ेगी। 

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