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जम्मू-कश्मीर में अभी भी सबसे बड़ा सवाल, ‘दरबार मूव’ क्या सच में खत्म हो चुका है

जम्मू-कश्मीर में अभी भी सबसे बड़ा सवाल, ‘दरबार मूव’ क्या सच में खत्म हो चुका है

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , सोमवार, 11 नवंबर 2024 (20:07 IST)
जिस डेढ़ सौ साल पुरानी ‘दरबार मूव’ की व्यवस्था को धारा 370 हटा दिए जाने के बाद बंद कर दिया गया था उसके तहत आज शीतकालीन राजधानी जम्मू में यह लगभग 500 कर्मचारियों व अफसरों के साथ फिर लग गया। बस इसे ‘प्रशासनिक मूव’ का नाम दिया गया है। इतना जरूर था कि पहले इसी ‘मूव’ के तहत 10 हजार के लगभग सरकारी अमला 6-6 माह दोनों राजधानियों में रहता था। जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर में अभी भी दो राजधानियां कायम हैं चाहे दो संविधान और दो निशान समाप्त हो चुके हों।
 
दरअसल, इस प्रक्रिया को सरकारी तौर पर दरबार मूव का नाम नहीं दिया जा रहा है बल्कि कहा जा रहा है कि कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार जम्मू व श्रीनगर के नागरिक सचिवालयों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिजवाने की परंपरा है क्योंकि प्रदेश में अभी भी दो राजधानियां हैं। और इस मूव के तहत आने वाले कर्मियों की संख्या भी निर्धारित नहीं है जो जरूरत के मुताबिक कम या ज्यादा हो सकती है।
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दरबार मूव की नई व्यवस्था के तहत प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में उप राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री का दरबार पिछले महीने श्रीनगर में बंद हो गया। हालांकि दरबार मूव के साथ जरूरत के आधार पर कर्मचारियों के अलावा मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मंत्रियों व उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव व प्रशासनिक सचिव के कार्यालयों ने आज से जम्मू में कामकाज संभाल लिया है।
 
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रशासनिक आधार को शीतकालीन राजधानी में स्थानांतरित करने की वार्षिक प्रथा के तहत सोमवार को यहां सिविल सचिवालय से काम करना शुरू कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्षों ने भी जम्मू से अपना काम फिर से शुरू कर दिया है। 23 अक्टूबर को जारी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के अनुसार, केवल प्रशासनिक सचिव और शीर्ष विभागाध्यक्ष ही दरबार स्थानांतरण में कटौती के तहत श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित होंगे। आदेश के अनुसार श्रीनगर में सिविल सचिवालय भी चालू रहेगा।
 
जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चली आ रही वार्षिक स्थानांतरण परंपरा को 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान रोक दिया गया था। घाटी में कड़ाके की ठंड की स्थिति के कारण अक्टूबर से मई तक सरकार को श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित करने की प्रथा थी। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठन के बाद अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री हैं।
 
 इस ‘दरबार मूव’ की परंपरा को आधिकरिक तौर पर वर्ष 2021 से ‘बंद’ किया जा चुका है, उसके प्रति सच्चाई यह है कि यह गैर सरकारी तौर पर लगभग 500 कर्मियों के साथ फिलहाल जारी है। ये कर्मी पिछले तीन सालों से उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और वित्त विभाग के वित्त आयुक्त, सामान्य प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव तथा पुलिस महानिदेशक के कार्यालयों में लिप्त कर्मी हैं जो दोनों राजधानियों में आ-जा रहे थे।
 
जम्मू में मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के साथ ही उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का दरबार सजाने के लिए नागरिक सचिवालय से लेकर राजभवन में साज सज्जा व मरम्मत कार्य अक्टूबर से ही शुरू हो चुका था। इतना जरूर था कि ‘दरबार मूव’ की परंपरा को बंद करने का समर्थन मात्र मुट्ठीभर उन लोगों द्वारा ही किया गया था जो एक राजनीतिक दल विशेष से जुड़े हुए हैं जबकि जम्मू का व्यापारी वर्ग इससे दुखी इसलिए है क्योंकि इतने सालों से कश्मीर से दरबार के साथ सर्दियों में जम्मू आने वाले लाखों लोगों पर उनका व्यापार निर्भर रहता था। जो अब उनसे छिन चुका है।
 
सड़क मार्ग से गए मुख्यमंत्री : जम्मू और आसपास के इलाकों में सोमवार को कम दृश्यता के कारण उड़ानें रद्द कर दी गईं। इसके कारण मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी शीतकालीन राजधानी की सड़क यात्रा पर जाना पड़ा।
 एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को जम्मू हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सभी शाम की उड़ानें रद्द कर दी गईं, जबकि खराब दृश्यता के कारण आज सुबह आगमन और प्रस्थान दोनों में देरी हुई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी कम दृश्यता के कारण उड़ानों में देरी के कारण आज सुबह जल्दी जम्मू की सड़क यात्रा करनी पड़ी।
 उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि जम्मू में खराब दृश्यता के कारण अचानक, आखिरी मिनट में सड़क यात्रा करनी पड़ी। कल जम्मू से कोई विमान नहीं आया और न ही कोई विमान गया, इसलिए मुझे शीतकालीन राजधानी की सड़क यात्रा करनी पड़ी।
 
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा कि आधिकारिक आवास की बालकनी से दृश्यता को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि आज भी उड़ानें संचालित होंगी। धुंध में सूरज को मुश्किल से देखा जा सकता है। रद्दीकरण और देरी ने स्पाइसजेट, इंडिगो और एलायंस एयर सहित एयरलाइनों की सेवाओं को प्रभावित किया, जिससे दिल्ली, श्रीनगर और जम्मू हवाई अड्डों पर यात्री फंस गए। मौसम विभाग, जो हर आधे घंटे में दृश्यता मापता है, ने कहा कि बारिश होने तक मैदानी और सीमावर्ती क्षेत्रों में धुंध जैसा मौसम बना रहेगा।
 
मौसम विज्ञानी डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि इन दिनों मैदानी सीमावर्ती क्षेत्रों में धुंध जैसा मौसम बना हुआ है, और इसका सबसे बड़ा कारण खेतों में पराली और अन्य फसल अवशेषों को जलाना है। आने वाले दिनों में पश्चिमी विक्षोभ का दबाव बन रहा है। जिसके कारण उत्तरी कश्मीर के कुछ इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना है। इस सप्ताह के अंत में एक और दबाव बनता हुआ दिखाई दे रहा है, जिसके बाद धुंध कम हो जाएगी।
इस बीच ताजा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में, गुरेज के ऊपरी इलाकों में सोमवार को ताजा बर्फबारी हुई, जिससे लंबे समय से चल रहा सूखा खत्म हो गया। एक अधिकारी ने बताया कि किल्शाय टॉप, तुलैल और आसपास के गांवों सहित ऊपरी इलाकों में ताजा बर्फबारी हुई। 
 
उन्होंने कहा कि एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर को प्रभावित कर रहा है, और इसके प्रभाव में कल तक हल्की बारिश और बर्फबारी की उम्मीद है। पूर्वानुमान के अनुसार, कल सुबह से अगले चार दिनों तक मौसम शुष्क रहेगा।

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