जम्मू। कभी डर और दहशत का गढ़ रहा उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा जिले की गुरेज घाटी इस साल रिकॉर्ड तोड़ पर्यटकों के आने के लिए तैयार है। दोनों देशों के बीच फरवरी 2021 में संघर्षविराम समझौते पर सहमति के बाद जम्मू-कश्मीर के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ ही गुरेज में पर्यटन ने गति पकड़ी है।
संघर्षविराम समझौते के जीवित रहने के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों ने सीमा पर्यटन व्यापार शुरू करने की भी मांग की है जिसके प्रति उनका कहना है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक लाभ लाएगा। आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष अब तक स्थानीय और राष्ट्रीय सहित लगभग 20 हजार पर्यटकों ने गुरेज घाटी का दौरा किया है।
गुरेज ने 2021-22 में कम से कम 3,000 पर्यटकों को आकर्षित किया। जबकि वर्ष 2020 में, केवल 200 पर्यटकों को यात्रा करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि वर्ष 2020 में अधिकांश समय एलओसी पर सीमा पार से गोलाबारी की गई थी।
एक अधिकारी ने बताया कि गुरेज घाटी को पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने और क्षेत्र की विरासत और संस्कृति को उजागर करने के लिए गुरेज उत्सव का समापन समारोह 17 अगस्त को हुआ था जिसने पर्यटकों को भी रोमांचित किया था। अधिकारियों के बकौल भविष्य में भी ऐसे महोत्सवों का आयोजन होता रहेगा जिनमें कैंपिंग, ट्रैकिंग, एंगलिंग, वॉटर स्पोर्ट्स और अन्य मनोरंजक कार्यक्रम जैसी कई साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में जिन महोत्सवों का आयोजन किया जाना है, उनमें कुछ हाईप्रोफाइल अधिकारी और बॉलीवुड हस्तियों को शामिल करने की भी योजना है। एक स्थानीय युवक मुसावीर ने बताया कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संघर्षविराम समझौते ने पिछले लगभग 3 दशकों के डर और बेचैनी को कम किया है और एलओसी के निकट रहने वाले लोगों के लिए विशेष अवसरों की वापसी हुई है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गुरेज घाटी में और अधिक पर्यटकों के आने के कारण प्रशासन ने पहले ही टेंट कॉलोनियों को खड़ा कर दिया है और अगले महीनों में और भी स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि टेंटों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है और वॉशरूम और किचन की सुविधा के साथ खूबसूरत जगहों पर बनाया गया है।
अधिकारी ने कहा कि गुरेज घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन सबसे आगे है। इसके अलावा इसके बुनियादी ढांचे को भी पूरी तरह से विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक पर्यटक घाटी का दौरा कर सकें जिससे वहां के लोगों के लिए आजीविका पैदा हो सके।(सांकेतिक चित्र)