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Baba Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा में मौसम के खतरे के बावजूद छड़ी मुबारक का कार्यक्रम घोषित

Amarnath
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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , बुधवार, 28 जून 2023 (09:15 IST)
Baba Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) में शामिल होने वालों के लिए यह बुरी खबर हो सकती है कि मौसम विभाग (Meteorological Department) अगले कुछ दिनों के दौरान जम्मू-कश्मीर में जबर्दस्त बारिश (rains) और यात्रा मार्ग पर बर्फबारी (snowfall) की चेतावनी देते हुए कह रहा है कि मौसम अमरनाथ यात्रा का सारा मजा किरकिरा कर सकता है।
 
श्रीनगर स्थित मौसम विभाग के बकौल मौसम की भविष्यवाणी यही कहती है कि आने वाले दिन मौसम के लिहाज से भयानक साबित हो सकते हैं। उनके मुताबिक हालांकि अभी अमरनाथ यात्रा शुरू भी नहीं हुई है, पर मौसम की आंखमिचौनी के कारण अमरनाथ यात्रा मार्ग पर दुश्वारियां भी बढ़ेंगी, क्योंकि सर्दी के बढ़ने के पूरे चांस हैं तो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात की संभावना से वे इंकार नहीं करते। मौसम के प्राकृतिक खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

मौसम विभाग के अनुसार इस बार मौसम पूरी तरह से अमरनाथ यात्रा में विलेन की भूमिका निभा सकता है। इस बार मौसम की परेशानी इसलिए भी है, क्योंकि मानसून समय से 10 दिन पहले ही पहुंच गया है और पहली ही बारिश ने प्रशासन के सभी दावों की धज्ज्यिां उड़ा दीं। यही नहीं, कश्मीर में वैसे भी अब पिछले कई सालों से थोड़ी-सी बारिश से बाढ़ का खतरा लगातार मंडराने लगता है और ऐसे में आए दिन होने वाली बारिशें सबके लिए परेशानियां पैदा कर सकती हैं।
 
इस बीच महंत दीपेन्द्र गिरिजी, महंत छड़ी मुबारक स्वामी अमरनाथजी ने साधुओं और आम जनता की जानकारी के लिए 'छड़ी मुबारक स्वामी अमरनाथजी यात्रा-2023' के कार्यक्रम की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की तीर्थयात्रा अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वर्ष हमारे पास 2 श्रावण महीने हैं और यह असाधारण खगोलीय घटना 19 वर्षों के बाद हुई है।
 
सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार छड़ी मुबारक स्वामी अमरनाथजी की वार्षिक तीर्थयात्रा की पारंपरिक शुरुआत से जुड़े भूमिपूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण जैसे अनुष्ठान पहलगाम में शुभ अवसर पर किए जाएंगे जबकि आषाढ़ पूर्णिमा (व्यास पूर्णिमा) इस वर्ष 3 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। शनिवार, 19 अगस्त 2023 को श्री अमरेश्वर मंदिर दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में छड़ी स्थापना के लिए अनुष्ठान करने से पहले छड़ी मुबारक को 16 अगस्त को ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर और 17 अगस्त को शारिका भवानी मंदिर में ले जाया जाएगा।
 
21 अगस्त को नागपंचमी के शुभ अवसर पर दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में छड़ी पूजन करने के बाद महंत दीपेन्द्र गिरिजी पवित्र गदा लेकर स्वामी अमरनाथजी के पवित्र मंदिर में पूजा और सुबह-सुबह दर्शन के लिए जाएंगे। 26 और 27 अगस्त को पहलगाम में, 28 अगस्त को चंदनवाड़ी में, 29 अगस्त को शेषनाग में और 30 अगस्त को पंचतरणी में रात्रि विश्राम के बाद 31 अगस्त को यह वापसी करेगी। 
 
स्थानीय लोगों ने भी शुरू की तैयारी: अमरनाथ यात्रा से पहले मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के विभिन्न इलाकों के स्थानीय लोगों ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बालटाल में तंबू लगाना शुरू कर दिया है। दक्षिण कश्मीर के हिमालय पर्वत में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ गुफा की वार्षिक यात्रा 1 जुलाई को शुरू होगी और 31 अगस्त को समाप्त होगी।
 
स्थानीय लोग भी बालटाल पहुंच रहे हैं, जहां वे यात्रियों के लिए अपने तंबू लगा रहे हैं, जहां तीर्थयात्रियों को अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। यह यात्रा कई सालों से जिले के लोगों को आजीविका भी प्रदान करती है। बालटाल में तंबू लगाने वाले अहमद का कहना था कि हम यात्रियों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उन्हें हरसंभव सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा न केवल हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है, बल्कि इससे यहां के स्थानीय लोगों को आजीविका कमाने में भी मदद मिलती है। इनमें  होटल मालिक, घुड़सवार, टैक्सी चालक आदि शामिल हैं, क्योंकि तीर्थयात्री इस यात्रा को केवल पवित्र अमरनाथ गुफा तक ही सीमित नहीं रखते हैं, बल्कि वे विभिन्न स्वास्थ्य रिसॉर्ट्स भी जाते हैं।
 
एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा कि हर साल बालटाल बेस कैंप से पवित्र गुफा तक हजारों टेंट लगाए जाते हैं, जो यात्रा के दौरान बालटाल में एक अलग तरह की सुंदरता पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें तंबुओं को स्थापित करने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।

स्थानीय लोगों ने कहा कि अमरनाथ यात्रा ने कश्मीरी लोगों की भावनाओं को जोड़ा है, जो सदियों से यात्रा को सफलतापूर्वक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन यात्रा को सफल बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है, हालांकि स्थानीय लोगों के सहयोग के बिना यह बिलकुल भी संभव नहीं है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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