जम्मू। चिनाब घाटी में पिछले 15 वर्षों से आतंकवाद को नियंत्रित करने के बाद सेना ने मारे गए और आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों के परिवारों से उनकी शिकायतों को दूर करने को लेकर सोमवार को संपर्क किया। यह जानकारी एक रक्षा प्रवक्ता ने दी।
चिनाब घाटी में जम्मू क्षेत्र के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिले शामिल हैं। यह केंद्र शासित प्रदेश का एक विकसित हो रहा सांस्कृतिक, शैक्षिक और पर्यटन केंद्र है। 1990 से 2007 तक यह घाटी आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रही। प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि 'आवाम' (लोग) अधिकांशत: रक्तपात और अलगाववादी राजनीति के पक्ष में नहीं हैं, रोजगार के अपर्याप्त अवसरों और स्थानीय युवाओं में जागरूकता की कमी के कारण वे शत्रुतापूर्ण और राष्ट्रविरोधी तत्वों के बहकावे में आने के प्रति संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों और मारे गए आतंकवादियों के परिवारों की समस्याओं को देखने और उनके पुनर्वास एवं सुधार के प्रयासों की निगरानी के लिए सेना ने डोडा के गुंडोह में एक बैठक आयोजित की। इस आयोजन को आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों, उनके परिवारों और मारे गए आतंकवादियों के परिवारों के साथ संवाद और उनके पुनर्वास एवं सुधार के प्रयासों में आवश्यक मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त मंच के रूप में भी देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादी और मारे गए आतंकवादियों के 14 परिवार गुंडोह और आसपास के गांवों से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रवक्ता ने कहा कि निकटवर्ती किश्तवाड़ जिले के पटनाजी, ठथरी, शेरगवाड़ी, किश्तवाड़ और गाहन में भी इसी तरह की बैठकें आयोजित की गईं।
उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान क्षेत्र के विकास के लिए की जा रहीं पहलों और उनके सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई और समाधान मांगा गया। उन्होंने कहा कि सेना के प्रतिनिधियों ने उन्हें भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र सरकारों द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी और वित्तीय योजनाओं से भी अवगत कराया। प्रवक्ता ने कहा कि बैठक को खूब सराहा गया और लोगों ने सभी क्षेत्रों में भारतीय सेना द्वारा प्रदान किए गए समर्थन की बहुत सराहना की।(प्रतीकात्मक चित्र)