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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नियम-संयम के पालन का महापर्व है पर्युषण, 12 सितंबर को होगा समापन

नियम-संयम के पालन का महापर्व है पर्युषण, 12 सितंबर को होगा समापन
दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व के दौरान सुबह मंदिरों में भगवान के अभिषेक, शांतिधारा व नित्य नियम की पूजा के साथ ही प्रवचनों का दौर भी जारी है। साथ ही दोपहर में तत्वार्थ सूत्र का वाचन एवं शाम को सामायिक, आरती तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहे है। 12 सितंबर 2019 को अनंत चौदस पर पर्युषण पर्व का समापन होगा और 14 सितंबर 2019 को क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा।
 
 
दसलक्षण पर्व के इन दन दिनों में कोई एकासन कर रहा है, तो किसी ने उपवास का संकल्प लिया है। सुबह जल्दी उठकर घर के सारे कामों को पूरा करके मंदिर जाना और फिर दिन भर विभिन्न आयोजनों में व्यस्त रहना। कुछ इसी तरह की दिनचर्या शुरू हो चुकी है। दस दिनों तक यही नियमित दिनचर्या रहेगी जिसका महिलाओं के साथ घर के अन्य सदस्य भी पालन करेंगे।

 
कई परिवारों में पर्युषण में दिन में बस एक ही बार खाना बनता है। जो एकासन व्रत रखता है वह सिर्फ एक ही बार बैठकर खाना खाता है और पानी भी एक ही बार लेता है। फिर दोबारा कुछ नहीं खाया जाता। इसके साथ ही जो उपवास रखते हैं वो फलाहार लेते हैं। इन दस दिनों तक लोग बाहर का कुछ नहीं खाते। विशेष तौर पर हरी पत्तेदार सब्जियां और कंदमूल खाना वर्जित माना गया है।
 
व्रत के कारण ध्यान न भटके और सबसे बड़ी बात की जब धर्म के लिए दस दिनों का समय मिला है, तो क्यों न उसका सदुपयोग किया जाए। इसीलिए हमारे यहां महिलाओं और बच्चों का अधिकतर समय मंदिर में ही बीतता है। इन दस दिनों तक मंदिरों में विशेष आयोजन और प्रतियोगिताएं होती हैं जिनमें सभी भाग लेते हैं। इस बहाने लोगों को अपनी प्रतिभाओं को निखारने का समय भी मिलता है।
 
 
इन दिनों में जैन समुदाय के सभी लोग नियम-संयम का पालन करते हैं। बच्चे भी एकासन या उपवास रखते हैं। स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चे भी बाहर का कुछ नहीं खाते। मंदिरों में महाराज जी के प्रवचन सुने जाते हैं ताकि अच्छे विचार मन में आएं। मन-वचन-कर्म से शुद्ध रहने का प्रयास किया जाता है। घर में तो बस एक समय खाना बनाना रहता है। साफ-सफाई और नियमों का विशेष ध्यान रखते हैं।
 
 
दसलक्षण पर्व में घर में शुद्ध खाना बनता है। जो कुछ खाते हैं ताजा ही खाते हैं। यहां तक कि पानी भी बाहर का नहीं पीते। कई घरों में व्रत तो नहीं करते लेकिन सारा नियम-कायदा मानते हैं। मंदिर जाते हैं, प्रवचन सुनते हैं। इन दिनों में प्रवचन सुनना सबसे अच्छा माना गया है जिससे हमारे मन में अच्छे विचारों का संचार होता है और हम बुराइयों से दूर रहते हैं।

 
 

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