पयुर्षण तप और त्याग का पर्व है। इस दौरान आत्मा की अज्ञानता दूर करना यही सच्चा धर्म है। पयुर्षण पर्व के दौरान आठ कर्मों का दहन करना तथा जीवमात्र के प्रति दया रखना यही सभी का परम कर्तव्य है। श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व के तहत आज भगवान महावीर का जन्मवाचन समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा।
इस अवसर पर अचिंत्य चिंतामणि कल्पसूत्र शास्त्र में उल्लेखित महावीर जन्म के वृत्तांत का वाचन साधु-साध्वी के मुखारविंद से होगा। इस महापर्व के अंतर्गत कल्पसूत्र में उल्लेखित भगवान महावीर के जन्म-प्रसंग का वाचन सुनाया जाएगा।
श्वेतांबर मान्यता के अनुसार माता त्रिशला ने भगवान के जन्म के पूर्व जो 14 महास्वप्न देखे थे, वे 14 रजत स्वप्न आकाश मार्ग से उतारे जाएंगे। स्थानक भवन में विराजित साध्वी मंडल भगवान महावीर के जन्म उत्सव का विवरण व माता त्रिशला को आए 14 सपनों के महत्व को प्रतिपादित कर अपने विचार व्यक्त करेंगे।
जन्मोत्सव के दौरान माता त्रिशला को आए 14 स्वप्नों की बोलियां लगाकर उन्हें प्रतिष्ठित किया जाएगा। जन्म की खुशी में श्रद्धालुजन एक-दूसरे को केशरिया छापे भी लगाएंगे व प्रभावना भी वितरित की जाएंगी।
बाल प्रभु महावीर को पालने में झुलाया जाएगा तथा रात्रि जागरण होगा। शाम को भगवान महावीर की 108 दीपकों से आरती होगी। पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के 5वें दिन देश-विदेश में भी भगवान महावीर का जन्म वाचन समारोह (महोत्सव) मनाया जाएगा। नाटय प्रस्तुति के माध्यम से राजा सिद्धार्थ को पुत्र रत्न की प्राप्ति पर बधाई कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा।