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Jain religion: जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु की जयंती, जानें 10 बातें

WD Feature Desk
Lord Chandra prabhu
 
HIGHLIGHTS
* भगवान चन्द्रप्रभु जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर हैं। 
* भगवान चंद्रप्रभु का जन्म पौष कृष्ण बारस को हुआ था। 
* निर्वाण प्राप्ति स्थान सम्मेद शिखर जी। 
 
Jain Tirthankar: जैन परंपरा के अनुसार जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चन्द्रप्रभु के पिता का नाम राजा महासेन तथा माता का नाम सुलक्षणा था। आइए जानते हैं उनके बारे में- 
 
1. जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चन्द्रप्रभु जी वाराणसी चंद्रपुरी के सम्राट राजा महासेन एवं रानी सुलक्षणा के सुपुत्र थे। 
 
2. उनका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की द्वादशी/ बारस तिथि के दिन चन्द्रपुरी में हुआ। 
 
3. उनके जन्म के समय चंद्रमा के समान रंग होने के कारण आपका नाम चंद्रप्रभु रखा गया।
 
4. आठवें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु को गर्भ के समय से ही 'मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान और अवधी ज्ञान' इन 3 प्रकार का आध्यात्मिक ज्ञान था।   
 
5. उन्होंने पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को दीक्षा ग्रहण की थी।
 
6. भगवान चन्द्रप्रभु जी को फाल्गुन कृष्ण सप्तमी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
 
7. जैन धर्मावलंबियों के अनुसार चन्द्रप्रभु जी के प्रतीक चिह्न- अर्द्धचन्द्र, चैत्यवृक्ष- नागवृक्ष, यक्ष- अजित, यक्षिणी- मनोवेगा है।
 
8. आसमान में तड़कती बिजली को देखकर प्रभु के मन में विचार आया कि यह जीवन क्षणभंगुर है। अतएवं इस नश्वर राजपाट को त्याग कर वैराग्य धारण कर आत्म कल्याण करना चाहिए। 
 
9. राजपाट से वैराग्य धारण करने वाले भगवान चन्द्रप्रभु ने श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन सम्मेद शिखर स्थित ललितकूट नामक टोंक से निर्वाण प्राप्त किया था।
 
10. इस वर्ष भगवान चन्द्रप्रभु की जयंती 7 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

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