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18 साल में गिरी संख्‍या Facebook यूजर्स की संख्या, आखिर यूजर्स क्यों बना रहे हैं दूरी?

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शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (18:24 IST)
पिछले दो दशक में टेक्नोलॉजी ने जिस रफ्तार से तरक्की की है, उसने लोगों की जीवनशैली को एकदम बदल दिया। फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी व्यस्तताओं ने दुनिया को आपके टेबल से होते हुए मोबाइल फोन के जरिए आपके हाथ तक पहुंचा दिया। 
 
तीन दोस्तों ने मिलकर बनाया : 2004 में 4 फरवरी को ही मार्क जुकरबर्ग ने हावर्ड यूनिवर्सिटी में अपने साथ पढ़ने वाले तीन दोस्तों के साथ मिलकर बनाई वेब साइट ‘फेसबुक’ को लांच करके दुनियाभर के लोगों को ‘फ्रेंड्स’ और ‘लाइक’ को गिनते रहने का एक नया गणित दे दिया। हालत यह है कि दुनिया के अरबों लोग अपनी हर गतिविधि को 'शेयर' करते हैं और यही उनकी दुनिया बन गई है। जुकरबर्ग ने फेसबुक के जरिए अपनी तकदीर बदल दी और पूरी दुनिया की तस्वीर। मौसम के बाद शायद यह पहली चीज है जो दुनिया के इतने लोगों को एक साथ प्रभावित करने का माद्दा रखती है। लेकिन अब शायद यूजर्स का इससे मोहभंग होता जा रहा है।
 
18 साल में गिरी फेसबुक यूजर्स की संख्‍या : हालांकि इसके बाद सोशल मीडिया पर इस तरह की बहुत-सी साइट आती रहीं, लेकिन फेसबुक ने अपनी जगह मजबूती से बनाए रखी। जबसे फेसबुक की शुरुआत हुई है, इसके यूजर्स तेजी से बढ़ते ही गए हैं, लेकिन इन 18 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि इस बार रोजाना एक्टिव यूजर्स की संख्या गिरी है।
 
टिकटॉक और यूट्‍यूब से कड़ी चुनौती : फेसबुक को टिकटॉक और यूट्यूब से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। बड़ी संख्या में यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं। इससे आने वाली तिमाही में फेसबुक का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। पिछले साल की चौथी तिमाही में फेसबुक के 2.91 अरब मंथली एक्टिव यूजर थे और उससे पिछले तिमाही की तुलना में इस संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
 
कंपनी का शेयर हुआ धड़ाम : फेसबुक के यूजर्स की संख्या में सिर्फ 10 लाख की गिरावट से ही कंपनी का शेयर धड़ाम हो गया। अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में गुरुवार को मेटा नेटवर्क्स के शेयर करीब 27 प्रतिशत गिर गए।

इस कारण से कंपनी का मार्केट कैप करीब 237 अरब डॉलर (यानी करीब 18 लाख करोड़ रुपये) घट गया। यह गिरावट कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि अमेरिका में एक दिन में किसी भी कंपनी के शेयरों में इतनी बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है।
 
भारत को ठहराया जिम्मेदार : कंपनी ने इसके लिए भारत में डेटा की कीमत में हुई बढ़ोतरी को भी जिम्मेदार बताया। फेसबुक की ओर से कहा गया कि भारत में डेटा कीमतों में बढ़ोतरी से दिसंबर, 2021 की तिमाही में उसके यूजर्स को ग्रोथ सीमित रही।

भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो ने दिसंबर तिमाही में अपने टैरिफ में 18 से 25 प्रतिशत की वृद्धि की थी। कंपनी ने कहा कि फेसबुक के यूजर्स की संख्या में ग्रोथ कई कारणों से प्रभावित हुई है। इसमें भारत में डेटा पैकेज के मूल्य में बढ़ोतरी भी शामिल है।
 
क्या मोहभंग का ये हैं कारण : फेसबुक की आंतरिक रिपोर्टों के हवाले से समाचार संस्थानों के वैश्विक समूह ने खुलासा किया था कि भारत में सोशल मीडिया का यह प्लेटफॉर्म ‘फेकबुक’ में तब्दील होता जा रहा है। इसमें बताया गया कि कैसे भारत में फर्जी अकाउंट्स से झूठी खबरों के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जाता है।

पिछले साल कई विवादों में घिरने के बाद अक्टूबर में फेसबुक CEO मार्क जकरबर्ग ने कंपनी का नाम बदलकर मेटा कर दिया था, लेकिन इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। टेक विशेषज्ञों का यह भी मानना कई नए कॉम्पिटीटर्स के आने और फेक न्यूज और प्राइवेसी इश्यू का मुद्दा अब फेसबुक पर भारी पड़ रहा है।

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