ट्राई द्वारा नंबर पोर्ट करने के नियमों में बदलाव के चलते अब यह प्रक्रिया ज्यादा आसान और तेज हो गई है। ट्राई के अनुसार 48 घंटे में यह काम पूरा हो सकता है। ट्राई के एक बयान के मुताबिक हमारा फोकस सबस्क्राइबर फ्रेंडली पर है। इसके लिए लगातार अच्छे कदम उठाए जा रहे हैं।
ट्राई का कहना है कि सर्किल के भीतर यह काम 48 घंटे में और दूसरे सर्किल में पोर्ट करवाने में 96 घंटे (4 वर्किंग डे) का वक्त लगेगा। ट्राई के मुताबिक, अगर पोर्ट करने की रिक्वेस्ट को गलत तरीक से रिजेक्ट किया जाता है तो कंपनी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
कितना कहां लगता है समय : ट्राई के मुताबिक एक ही सर्किल के भीतर पोर्ट कराने के लिए अधिकतम समय सीमा 48 घंटे है। हालांकि कॉर्पोरेट कनेक्शन के लिए 4 वर्किंग डे का समय दिया गया है। अब यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) की वैधता 15 दिनों से घटाकर 4 दिनों के लिए कर दी गई है।
हालांकि यह नियम जम्मू कश्मीर, असम और नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लिए नहीं लागू होता है। इन राज्यों के लिए यूपीएस की वैधता 30 दिन है। इसके अतिरिक्त पोर्टिंग रिक्वेस्ट को वापस लेने के नियम को भी आसान बनाया गया है। एक टेक्स्ट मैसेज के जरिए पोर्टिंग रिक्वेस्ट को वापस लिया जा सकता है।
कैसे होगा नंबर पोर्ट : नंबर पोर्ट करने के लिए सबसे पहले UPC (यूनिक पोर्टिंग कोड) जेनरेट करना होगा। इसके लिए अपने नंबर से PORT स्पेस और अपना नंबर डालकर 1900 पर SMS करना होता है। इसके जवाब में आपके नंबर पर UPC कोड का मैसेज भेज दिया जाएगा।
इसकी वैधता अब 15 दिनों से घटाकर 4 दिन कर दी गई है। इस कोड के जेनरेट होने के बाद ही दूसरे ऑपरेटर के साथ पेपर वर्क करना होगा। इसके लिए ऑपरेटर का कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म (CAF) भरना होता है। इसमें आपका एड्रेस प्रूफ, आईडी प्रूफ और दूसरी जानकारी देनी होती है। पोस्टपेड कस्टमर को पुराना बिल नजदीकी ऑफिस में जमा करना पड़ता है।
कितना लगता है चार्ज : दूसरे नेटवर्क में पोर्ट करने का चार्ज 4 रुपए है। पहले यह चार्ज 19 रुपए था। नए नेटवर्क में सिम एक्टिव होने से पहले पुराने सिम का नेटवर्क गायब हो जाएगा। इसके बाद नए सिम को फोन में लगाना होगा। कुछ घंटे के भीतर नए सिम में नेटवर्क आ जाता है।