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चेन्नई के अनुभव और कोलकाता के युवा जोश में कांटे की टक्कर की उम्मीद, यह हैं दोनों टीमों की ताकतें

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शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2021 (11:20 IST)
दुबई: महेंद्र सिंह धोनी की करिश्माई कप्तानी चेन्नई सुपर किंग्स का रक्षा कवच साबित होगी जब शुक्रवार को आईपीएल के खिताबी मुकाबले में उसका सामना स्पिन तिकड़ी के दम पर फाइनल में पहुंची कोलकाता नाइट राइडर्स से होगा। दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमियों को दशहरे के दिन ‘कैप्टन कूल’ की आतिशी पारी का भी इंतजार रहेगा जो पीली जर्सी में शायद आखिरी बार देखने को मिले।

आंकड़ों की बात करे तो चेन्नई 12 सत्रों में नौ बार फाइनल में पहुंची है चूंकि दो सत्रों में वह लीग से बाहर थी । चेन्नई ने तीन खिताब जीते और पांच बार फाइनल में हारी जबकि केकेआर ने दोनों खिताब गौतम गंभीर की कप्तानी में जीते हैं। फाइनल तक पहुंचने की कला चेन्नई से बेहतर कोई टीम नहीं जानती है।दूसरी ओर केकेआर ने 2012 में आखिरी खिताब जीता था जब दो गेंद बाकी रहते 190 रन का लक्ष्य हासिल किया थ।

चेन्नई के लिये चौथा खिताब जीतने की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि वह केकेआर की स्पिन तिकड़ी वरूण चक्रवर्ती, शाकिब अल हसन और सुनील नारायण का सामना कैसे करते हैं। तीनों ने टूर्नामेंट में सात से कम की औसत से प्रति ओवर रन दिये हैं।

आंद्रे रसेल के हैमस्ट्रिंग चोट के कारण बाहर होने से शाकिब का हरफनमौला प्रदर्शन केकेआर को संतुलन देता आया है । वैसे फाइनल मैच के अपने दबाव होते हैं और सामने धोनी जैसा कप्तान हो तो इन तीनों के लिये इस प्रदर्शन को दोहरा पाना आसान नहीं होगा।

धोनी का सरल मंत्र है कि अनुभव पर भरोसा करो। उन्होंने रूतुराज गायकवाड़ का मार्गदर्शन किया जब 2020 में क्वालीफिकेशन का दबाव उन पर नहीं था । रूतुराज इस सत्र में तीन अर्धशतक समेत 600 से ज्यादा रन बना चुके हैं । धोनी ने अपनी नेतृत्व क्षमता के दम पर अगले साल ही नहीं बल्कि आने वाले कई सालों तक के लिये टीम की नींव मजबूत कर दी है।

रूतुराज अगर चेन्नई के अगले कप्तान बनते हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी चूंकि धोनी अगले साल या उसके बाद आईपीएल को अलविदा कहने का ऐलान कर सकते हैं।

आईपीएल को धोनी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। यही वजह है कि उनकी टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन करती आई है । पिछले साल लीग चरण से बाहर होने वाली पहली टीम बनी चेन्नई यादगार वापसी करके इस बार फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बनी।

चेन्नई के पास अनुभव की कमी नहीं है। धोनी 40 पार कर चुके हैं जबकि ड्वेन ब्रावो 38 , फाफ डु प्लेसी 37 , अंबाती रायुडू और रॉबिन उथप्पा 36 वर्ष के हैं। मोईन अली और रविंद्र जडेजा भी 30 पार हैं।

अपने संसाधनों का सही प्रयोग करने की कला में धोनी को महारत हासिल है ।इस सत्र में सभी ने देखा कि धोनी के चहेते और आईपीएल के लीजैंड सुरेश रैना को भी टीम से बाहर बैठना पड़ा। बढे हुए वजन और खराब फॉर्म से जूझ रहे रैना की जगह उथप्पा ने ली और दिल्ली के खिलाफ टीम की जीत के सूत्रधार रहे।

दूसरी ओर केकेआर के पास विश्व कप विजेता कप्तान है जिसने सीमित ओवरों के क्रिकेट में इंग्लैंड टीम का कायाकल्प किया है।

कइयों का मानना था कि मोर्गन की जगह रसेल को कप्तानी सौंपनी चाहिये लेकिन मोर्गन पर टीम प्रबंधन ने भरोसा किया। उन्होंने शुभमन गिल से ही पारी की शुरूआत कराना जारी रखा और आखिर गिल के बल्ले से रन निकले । वेंकटेश अय्यर पर किये गए भरोसे का भी टीम को फायदा मिला है।

मोर्गन भी धोनी की तरह जज्बात जाहिर नहीं करते लिहाजा ऐसे में दोनों कप्तानों की क्रिकेट की समझ का भी यह मुकाबला होगा।

कोलकाता का बेखौफ क्रिकेट खेलना उनकी सबसे बड़ी ताकत

कोलकाता में ज्यादातर खिलाड़ी युवा हैं। वैंकटेश अय्यर, शिवम मावी, शुभमन गिल, राहुल त्रिपाठी, प्रसिद्ध कृष्णा इस टीम हैं। टीम का निडर होकर खेलना ही टीम को फाइनल तक पहुंचा पाया। फाइनल में भी टीम अपनी इस ही ताकत के साथ खेलना पसंद करेगी।

आंद्रे रसेल को छोड़ दे तो कोई स्टार प्लेयर नहीं है और फाइनल में खेलने की उनकी संभावना भी कम ही लग रही है।

चेन्नई का टीम कॉ्बिनेशन उनकी सबसे बड़ी ताकत

चे्न्नई की टीम में एक से एक अनुभवी खिलाड़ी है। सुरेश रैना, फैफ डु प्लेसिस, अंबाती रायडू, खुद महेंद्र सिंह धोनी काफी अनुभवी हैं। रिकॉर्ड 9वीं बार टीम आईपीएल फाइनल में पहुंची है तो इस अनुभव का फायदा यह टीम जरूर उठाएगी। फाइनल ज्यादा खेलने के कारण टीम के लिए यह एक सामान्य सा मैच ही रहेगा।

दीपक चाहर जोश हेजलवुड जैसे तेज गेंदबाज है और ऑलराउंडर रविंद्र जड़ेजा पिछली बार कोलकाता के खिलाफ एक्स फैक्टर साबित हुए थे और आज भी उनसे चेन्नई को यही उम्मीद रहेगी।

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