- सीमान्त सुवीर
35 साल के एमएस धोनी की बाजुओं में कितनी ताकत है, यह उन्होंने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मंगलवार की रात साबित कर दिया। उन्होंने आईपीएल 10 के प्लेऑफ मुकाबले में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स की तरफ से खेलते हुए मुंबई इंडियन्स के कप्तान रोहित शर्मा के सामने हैरान करने वाले पांच छक्के जड़े और 26 गेंद पर नाबाद 40 रन ठोंक दिऐ। धोनी की यही आतिशी पारी बुधवार को सोशल मीडिया पर छायी रही।
धोनी से राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स की कप्तानी भले ही छीन ली गई हो लेकिन उनका खेल नहीं छीना। पूरे मैच में धोनी छाए रहे और दर्शक उनकी बल्लेबाजी को टुकुर-टुकर देखकर रोमांचित हुए बिना नहीं रहे। उन्होंने यह भी साबित किया कि मेरी पहचान ही मेरा बल्ला है। धोनी ने ऐसे समय मैदान संभाला जब टीम रनों के लिए जूझ रही थी। पुणे के शुरुआती तीन विकेट 89 के कुल स्कोर पर गिर चुके थे और 12.4 ओवर का खेल भी हो चुका था।
क्रिकेट पंडित मान रहे थे अब कोई चमत्कार ही पुणे को फाइनल के दरवाजे पर पहुंचा सकता है। धोनी ने अपना तमाम अनुभव और बाजुओं की ताकत झोंककर मैच में नई जान ला दी। धोनी ने मनोज तिवारी (48 गेंद पर 58 रन) को साथ लेकर मैदान पर जो कत्लेआम मचाया, वो कई दिनों तक भुलाए नहीं भूलेगा। उन्होंने तिवारी के साथ 44 गेंदों में 73 रनों की साझेदारी करके स्कोर को 20 ओवर में 162 रनों तक पहुंचा दिया। जवाब में मुंबई की टीम 20 ओवर में 9 विकेट खोकर 142 रन ही बना सकी।
वाशिंगटन सुंदर, 4 ओवर में 16 रन देकर 3 विकेट
पुणे ने यह मैच 20 रन से जीता वह भी धोनी की ही बदौलत क्योंकि बल्लेबाजी में अपने जौहर दिखाने के बाद उन्होंने अघोषित रूप से कप्तानी का भार भी अपने कंधों पर ले लिया था। मुंबई की बल्लेबाजी में सेंध लगाने का काम वाशिंगटन सुंदर ने किया। सुंदर ने 4 ओवर में 16 रन देकर 3 विकेट झटके। सुंदर को कहां गेंद डालनी है, इसका इशारा विकेट के पीछे से धोनी कर रहे थे। कप्तान स्टीवन स्मिथ ने धोनी को खुली छूट दे दी थी कि वे क्षेत्ररक्षण की जमावट भी करें क्योंकि स्मिथ जानते थे कि धोनी की चाणक्य नीति से वे मैच को फतह कर सकते हैं। और हुआ भी ऐसा ही।
क्रिकेट विशेषज्ञ और पूर्व कप्तान सुनील गावसकर की नजरों में आज धोनी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर हैं। वे कहते हैं कि बल्लेबाजी ही धोनी की असली पहचान है। हेलीकॉप्टर शॉट के अलावा एक्ट्रा कवर के ऊपर से ही नहीं कैसे छक्के उड़ाए जाते हैं, यह कला धोनी ही जानते हैं। उनमें मैदान के चारों तरफ शॉट्स खेलने की क्षमता है।
धोनी सातवीं बार आईपीएल का फाइनल खेलने जा रहे हैं और दो बार वे अपनी पूर्व टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को चैम्पियन भी बनवा चुके हैं। उनकी कप्तानी में चेन्नई की टीम चार बार उपविजेता भी रही है, लिहाजा पुणे को इस बार के फाइनल में उनसे बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। यही नहीं अगले महीने इंग्लैंड में चैम्पियंस ट्रॉफी का आयोजन होने जा रहा है, इसमें विराट और धोनी की जुगलबंदी कमाल दिखा सकती है।
धोनी भले ही उम्र के 35वें पड़ाव पर हैं लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि वे 2007 में भारत को टी20 विश्व कप और 2011 में आईसीसी विश्व कप जितवा चुके है। यदि चैम्पियंस ट्रॉफी में उनका बल्ला चल निकला तो भारत को विजेता बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। बहरहाल, धोनी ने बुधवार को वानखेड़े स्टेडियम में 26 गेंदों पर पांच छक्कों की मदद से खेली 40 रन की नाबाद पारी से अपने आलोचकों को तो करारा जवाब दे ही दिया है।