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क्या है चाइनीज टेलीस्कोप 'स्काई आई', जिसकी मदद से चीन से खोज लिया एलियन!

क्या है चाइनीज टेलीस्कोप 'स्काई आई', जिसकी मदद से चीन से खोज लिया एलियन!
, गुरुवार, 16 जून 2022 (15:46 IST)
Photo - Twitter
चीन। चीन के साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने मंगलवार एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें ये दावा किया गया कि चीन ने अपने रेडियो टेलिस्कोप 'स्काय आई' से करोड़ों मील दूर के सिग्नल कैच किए हैं। चीन के विशेषज्ञों का दावा है कि सिग्नल किसी दूसरे ग्रह के एलियंस द्वारा भेजे गए हैं। इस रिपोर्ट के सोशल मीडिया पर वायरल होने पर दुनिया की कई बड़ी स्पेस एजेंसियों ने रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए, जिसके बाद चीन ने रिपोर्ट अपनी वेबसाइट से हटा दी। 
 
मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस साल बीजिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 'पृथ्वी के बाहर से संभावित सभ्यताओं के रेडियो सिग्नल्स' पाए हैं। इन सिग्नल्स को चीन में स्थित दुनिया के सबसे बड़े टेलिस्कोप 'स्काय आई' से पकड़ा गया। 
 
एंड्रू जेम्स नाम के पत्रकार चीन में स्पेस प्रोग्राम के विकास कार्यों पर रिपोर्ट बनाते हैं। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा कि चीन के टेलिस्कोप ने करोड़ों मील दूर से आने वाले रेडियो सिग्नल्स पकडे हैं, जो संभावित तौर पर एलियन सभ्यता के हो सकते हैं। 
एंड्रू ने इस बारे में चीन के एक शीर्ष स्पेस साइंटिस्ट से भी बात की, जिनका कहना है कि ये स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके पहले कभी किसी देश की स्पेस एजेंसी ने पृथ्वी के बाहर किसी सभ्यता के होने का इतना ठोस सबूत नहीं दिया है। फिलहाल इस विषय पर शोध जारी है। 
 
क्या है 'स्काय आई' ?
 
स्काय आई दक्षिणी चीन में स्थित, 1,640 फुट का गोलाकार रेडियो टेलिस्कोप है, जिसे 'फाइव हंडरेड मीटर अपर्चर स्फेरिकल टेलिस्कोप' या FAST भी कहा जाता है। यह चीन के गुइझोउ प्रांत में है और इसका संचालन 25 सितम्बर 2016 में शुरू हुआ। ये दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक टेलिस्कोप है, जिसे चीन के स्पेस प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाली किरणें इतनी प्रभावशाली होती हैं कि इसके 5 किलोमीटर के एरिया के भीतर किसी भी टूरिस्ट को मोबाइल फोन या अन्य कोई रेडियो डिवाइस इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। 
 
इसके पहले भी स्काय आई ने 2020 में 2 बार ऐसे रेडियो सिग्नल पकड़े थे। लेकिन, 14 जून को जो सिग्नल पकडे गए हैं, उनकी फ्रीक्वेंसी तुलनात्मक दृष्टि से ज्यादा शक्तिशाली बताई जा रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये किसी तरह का ' रेडियो इंटरफेरेंस ' भी हो सकता है। दूसरे शब्दों में, जब दो सैटेलाइट के सिग्नल आपस में टकराते हैं, तो Receiver (प्राप्तकर्ता) के सिस्टम में सिग्नलों ठीक से नहीं पहुंच पाते।  
 

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