Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

शनि के रहस्‍यों का खुलासा करने वाला यान 'कासिनी' हुआ खामोश

शनि के रहस्‍यों का खुलासा करने वाला यान 'कासिनी' हुआ खामोश
, शुक्रवार, 15 सितम्बर 2017 (23:44 IST)
वॉशिंगटन। अपनी 20 वर्षों की अनवरत अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सौर मंडल के तीसरे सबसे बड़े ग्रह शनि और उसके रहस्मय वलयों तथा चंद्रमाओं की अहम जानकारी जुटाने वाला अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का खोजी यान कासिनी आज हमेशा के लिए खामोश हो गया। 
       
शनि के वायुमंडल में अपनी अंतिम यात्रा शुरू करने के साथ कासिनी ने भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे शनि और उसके वायु मंडल की अंतिम तस्वीरें और रेडियो सिग्नल पृथ्वी पर भेजे। ये  आखिरी संदेश नासा के ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा स्थित डीप स्पेस सेंटर में एक घंटे 23 मिनट पर पहुंचेगे। शनि से पृथ्वी की दूरी एक अरब मील होने के कारण प्रकाश की गति से पृथ्वी पर पहुंचने में भी इन्हें इतना समय लगेगा।  
         
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, कासिनी ने 11 लाख 30 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार के साथ शनि के वायुमंडल में प्रवेश किया और चंद सेकंडों में जलकर नष्ट हो गया। तीन अरब डॉलर के इस यान को जानबूझकर शनि के वायुमंडल में प्रवेश कराया गया क्योंकि वैज्ञानिकों का ऐसा मानना था कि ईंधन खत्म हो चुके इस यान को अगर यूं ही छोड़ दिया जाता तो उसके शनि के चंद्रमा टाइटन या फिर पॉलीड्यूसेस से टकराने की आशंका थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, वह ऐसा नहीं चाहते थे क्योंकि शनि के इन दोनों चंद्रमाओं पर जीवन के अंश होने की प्रबल संभावनाएं हैं जिसे  किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने का खतरा वे नहीं उठाना चाहते थे।
        
कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशला में कासिनी अभियान से जुड़े वैज्ञानिकों ने यान की अंतिम यात्रा के दृश्यों को बड़े ही कौतूहल के साथ देखा। यह क्षण उनके लिए दुख और खुशी दोनों साथ लेकर आए। उन्हें दुख इस बात का था कि कासिनी खत्म हो गया जबकि खुशी इस बात की थी कि वह शनि ग्रह के कई राज खोल गया जो आने वाले समय में इस ग्रह से जुड़े अनुसंधानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे।
         
पन्द्रह अक्टूबर 1997 में अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से रवाना हुए कासिनी ने 30 जून 2004 को देर रात शनि की कक्षा में प्रवेश किया था जिसके बाद वह 13 वर्षों तक इसी ग्रह के इर्दगिर्द घूमता रहा। इस दौरान उसने शनि के सात नए चंद्रमाओं मिथोन, पैलीन, पॉलीड्यूसेस, डैफनिस, एंथे, ऐगियोन और एस 2009 की खोज की। उसने शनि की विशिष्ट पहचान माने-जाने वाले उसके वलयों के भी कई राज खोले और उनके अहम आंकड़े पृथ्वी पर भेजे। 
 
शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर तरल मिथेन के समुद्र होने का पता भी पहली बार कासिनी से ही लगा। कासिनी के साथ हायंगेस नाम से एक शेाध यान भी भेजा गया था जो 25 दिसंबर 2004 को उससे अलग होकर 14 जनवरी 2015 को टाइटन पर उतरा था लेकिन तकनीकी खामी के कारण वह कुछ समय बाद ही निष्क्रिय हो गया।
       
शनि के बारे में अहम जानकारियां जुटाने के साथ ही कासिनी ने अंतरिक्ष में 7.9 अरब  किलोमीटर की लंबी यात्रा के दौरान कई  और ग्रहों के बारे में भी महत्वपूर्ण  जानकारियां हासिल कीं और कुल 4.53 लाख तस्वीरें पृथ्वी पर भेजीं। वर्ष  1998 में वह शुक्र ग्रह के करीब से गुजरा और उसके गुरुत्वाकर्षण की जानकारी  जुटाई । वर्ष 2000 में उसने बृहस्पति ग्रह के करीब से गुजरते हुए उसकी 26 हजार नायाब तस्वीरें उतारीं। 
       
कासिनी अभियान के प्रबंधक अर्ल मेज के अनुसार, कासिनी भौतिक रूप से बेशक खत्म हो गया लेकिन उसके द्वारा जुटाई गई  जानकारियां उसे हमेशा जिंदा रखेंगी। भविष्य में शनि ग्रह से जुड़े शोध कासिनी से मिली जानकारियों के भरोसे ही आगे बढ़ेंगे।       
        
इतालवी, यूरोपीय और अमेरिकी अंतरिक्ष एंजेसियों के साझा सहयोग से निर्मित इस  यान का नामकरण जाने-माने इतालवी-फ्रांसिसी खगोलविद् जियोविनी डोमेनिको कासिनी के नाम पर किया गया था। शनि के बारे में जितनी जानकारियां इस यान ने भेजीं उतनी कोई और आज तक नहीं भेज सका। (वार्ता) 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पेट्रोल पर कर के खिलाफ प्रदर्शन करेगी कांग्रेस