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Kashmir को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लगाई लताड़

Kashmir को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लगाई लताड़
, शनिवार, 19 अक्टूबर 2019 (13:14 IST)
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के एक मंच पर उठाने पर पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि देश अपने ‘विकृत एजेंडे’ को चलाने के लिए ‘खाली बयानबाजी’ करता है और लगातार आरोप गढ़ने में लगा रहता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में मंत्री दीपक मिश्रा ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी के एक बयान की प्रतिक्रिया में थी, जिन्होंने पिछले सप्ताह विश्व निकाय के एक मंच पर बोलते हुए जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर फिर से राग अलापा था।

लोधी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के भारत के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के समाधान के बिना संयुक्त राष्ट्र का उपनिवेशीकरण को खत्म करने का एजेंडा अधूरा रहेगा।

मिश्रा ने बुधवार को कहा कि मंच पर जानबूझकर विषय से भटकाने की कोशिश की जा रही है और अनुचित टिप्पणियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने विकृत एजेंडे को चलाने के लिए खाली बयानबाजी करते रहते हैं और घटिया तथा बेबुनियाद आरोपों को फैलाने में लगे रहते हैं।

मिश्रा ने समिति को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से, 80 से अधिक पूर्व उपनिवेशों ने स्वतंत्रता प्राप्त की है और संयुक्त राष्ट्र के परिवार में शामिल हुए हैं।

विश्व निकाय के दस्तावेजों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, आज बीस लाख से भी कम लोग गैर-स्व-शासित क्षेत्रों में रहते हैं।

मिश्रा ने कहा कि इस समिति के एजेंडे में अभी भी 17 गैर-स्वशासित क्षेत्र हैं, जहां उपनिवेश को खत्म करने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में चल रही है। उन्होंने इस लंबी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि परस्पर रूप से संबद्ध इस विश्व में, भारत दृढ़ता से मानता है कि उपनिवेशीकरण के लिए एक व्यावहारिक और सार्थक दृष्टिकोण अपनाने से निश्चित रूप से गैर-स्वशासी क्षेत्रों के लोगों की जायज इच्छाओं की पूर्ति होगी। वर्तमान दुनिया के सामने आई जटिल चुनौतियों का समाधान केवल सहयोग और सहभागिता की भावना के साथ हमारे कार्यों के समन्वय से ही हो सकता है।

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