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ट्रंप प्रशासन तिब्बती समुदाय को अब बिल्कुल मदद नहीं देगा

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शुक्रवार, 26 मई 2017 (11:24 IST)
वॉशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रस्ताव दिया है कि तिब्बत के लोगों की अलग पहचान को बनाए रखने के लिए समुदाय को वित्तीय मदद देने की दशकों पुरानी अमेरिकी नीति को पलट दिया जाए और वर्ष 2018 में तिब्बती लोगों को बिल्कुल मदद न दी जाए। ट्रंप प्रशासन अब चाहता है कि दूसरे देश अब मदद दें।
 
विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के पहले वार्षिक बजट के तौर पर कांग्रेस को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा है। प्रशासन ने कहा है कि उसके बजट में 28 प्रतिशत से अधिक की कमी की गई है। प्रशासन ने मदद बंद करने के इस फैसले को 'बेहद मुश्किल फैसलों' में से एक बताया गया है।
 
अमेरिका में मौजूद तिब्बती समुदाय के नेता इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से बचते रहे। उन्होंने कहा कि वे अभी बजट के दस्तावेज पढ़ रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने कहा कि तिब्बती लोगों को तिब्बत के लिए या इससे इतर जो भी मदद दी जाती है, उसका संचालन अब तक कांग्रेस करती आई है। डेमोक्रेटिक नेता नैंसी पेलोसी ने इस कदम पर चिंता जाहिर की है।
 
वर्ष 2002 में कांग्रेस ने चीन में तिब्बती समुदायों को मदद देने के लिए आर्थिक सहयोग वित्त सुनिश्चित करना शुरू किया था। इसके अलावा यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट भारत स्थित अपने कार्यालय से बाहर इस मदद के प्रावधानों का प्रबंधन करता है।
 
कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) के अनुसार, इस आवंटन को बरकरार रखना भारत में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के लिए एक बड़ी प्राथमिकता बन गया है। यूएसएड के बजट में भारी कमी होने पर यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसका निर्वासित तिब्बती सरकार के लिए किए जाने वाले वित्तपोषण पर क्या असर पड़ेगा।
 
तिब्बत को दिए जाने वाले वित्तपोषण में कमी ने अमेरिका में तिब्बत के समर्थकों को स्तब्ध कर दिया है। अपनी कन्फर्मेशन हियरिंग में विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने सांसदों को आश्वासन दिया था कि प्रशासन की ओर से तिब्बतवासियों को समर्थन दिया जाएगा।
 
उन्होंने कहा था कि यदि मेरे नाम को मंजूरी मिलती है तो मैं तिब्बत को चीन का हिस्सा मानते हुए बीजिंग और तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रतिनिधियों और या दलाईलामा के बीच बातचीत को प्रोत्साहन देना जारी रखूंगा।
 
छह-सात अप्रैल के अमेरिका-चीन सम्मेलन से पहले प्रभावशाली सांसदों के एक समूह ने ट्रंप से अपील की थी कि वह तिब्बत का मुद्दा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के समक्ष उठाएं। (भाषा)

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