लंदन। वैज्ञानिकों के इस दावे से मानव विकास से जुड़ी सबसे बड़ी बहस सुलझती नजर आ रही है। जीव-विज्ञानी मानते हैं कि इंसानों के पूर्वज बंदर नहीं बल्कि कोई और है। दरअसल, दुनिया में इंसानों और अन्य जीवों के प्राचीन इतिहास को लेकर समय-समय पर वैज्ञानिक तथ्य सामने आते रहे हैं। एक नए अध्ययन की मानें तो इंसानों का पूर्वज एक समुद्री जीव था।
अब तक तो हम यही सुनते रहे हैं कि बंदर हमारे पूर्वज हैं। ऐसे में अब अचानक से नई बात कही जाएगी तो ताज्जुब होना स्वाभाविक है। पहले के जीव-विज्ञानी भी इस बात का दावा करते रहे हैं कि 'समुद्री स्पंज' इंसानों और दूसरे जीवों के सबसे पुराने पूर्वज रहे होंगे। यही नहीं इन वैज्ञानिकों ने समय-समय पर तर्क पेश किए कि इसके माध्यम से मानव विकास से जुड़ी जीव-विज्ञान की सबसे बड़ी बहस सुलझ सकती है।
क्या है समुद्री स्पंज
जीन से जुड़े इनके पिछले कुछ विश्लेषण देखें जाएं तो इस निष्कर्ष को समझने में आसानी होगी। 'समुद्री स्पंज' को कॉम्ब जेली के नाम से जाना जाता है। यह एक अमेरूदण्डी, पोरीफेरा संघ का समुद्री जीव है। यह मीठे एवं खारे पानी में पाया जाता है। यह जीव एक कालोनी बनाकर अपने आधार से चिपके रहते हैं।
यह एक मात्र ऐसे जीव हैं जो चल फिर नहीं सकते हैं। ये लाल एवं हरे आदि कई रंगों के होते हैं। इनका शरीर पौधों की तरह शाखा-प्रशाखा युक्त होता है। इनके शरीर पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिससे होकर जल इनके शरीर में प्रवेश करता है, इन्हें ऑस्टिया कहते हैं। इनके अग्रभाग पर एक बड़ा छिद्र होता है, जिससे जल बाहर निकलता है, इसे उस्कुलम कहते हैं।
इसका शरीर जेलीफिश जैसा होता है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के रिसर्चरों ने अपने नए शोध में इस भ्रम की स्थिति के कारण की पहचान की गई और खुलासा किया गया कि स्पंज ही सबसे पुराने पूर्वज हैं। इन शोधकर्ताओं ने 2015 और 2017 के बीच जारी किए गए सभी प्रमुख जीनोमिक डेटासेटों का विश्लेषण किया था।
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के डेविड पिसानी ने बताया, 'तथ्य यह है कि स्पंज या कॉम्ब जेली में से कौन पहले आया, इसके बारे में परिकल्पना तंत्रिका तंत्र एवं पाचन तंत्र प्रणाली जैसी प्रमुख जंतु प्रणालियों के विकास से जुड़े पूर्णत: अलग इतिहास की तरफ इंगित करता है। पिसानी ने कहा, पशुओं के विकास क्रम की जड़ में शाखा के सही क्रम को जानना हमारे अपने विकास और पशुओं की शारीरिक संरचना के अहम पहलुओं के मूल रूप को समझने की बुनियादी जरूरत है।