न्यू यॉर्क । भौतिक विज्ञानियों का कहना है कि मानव निर्मित एक हीरे में किसी बैटरी की तरह स्टोर किया गया डाटा पांच हजार से अधिक वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जब एक हीरे को एक रेडियोएक्टिव स्रोत के पास रखा जाता है तो यह एक ऐसा चार्ज (आवेश) पैदा करता है जिसकी मदद से इसे एक डाटा स्टोर में बदला जा सकेगा। इस डाटा स्टोर को सक्रिय करने के लिए अन्य प्रकार के उपकरण के सक्रिय या गतिशील हिस्सों को पास रखने की भी जरूरत नहीं होगी। इससे किसी प्रकार का कोई उत्सर्जन भी नहीं होगा है और न ही इसके लिए किसी प्रकार के रखरखाव की जरूरत होगी।
आम तौर पर कहा जाता है कि हीरा है सदा के लिए और यह बात डाटा स्टोरेज के मामले में शब्दश: सच होगी क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस तरह की डाटा बैटरी को 2016 में बनाया जाता है तो यह बैटरी वर्ष 7746 तक आसानी से चल सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब एक रेडियोधर्मी स्रोत को एक हीरे (डायमंड) के अंदर सुरक्षित रखा जाता है तो यह हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है। विदित हो कि हीरा सबसे अधिक कठोर और लम्बे समय तक बनी रहने वाला ज्ञात तत्व या वस्तु होती है।
हाल में वैज्ञानिकों ने परमाणु कचरे को रूपांतरित करके रेडियोएक्टिव बैटरियों में बदल दिया है जिनसे उर्जा देने वाले उपकरण बनाए जा सकते हैं। यह पेसमेकर्स, ड्रोन, सैटेलाइट्स या स्पेसक्रॉफ्ट को लम्बे समय तक उर्जा देने का काम करने में सक्षम होंगे। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इससे परमाणु कचरे की समस्या हमेशा के लिए हल की जा सकेगी। साफ सुथरी बिजली बनाई जा सकती है और लम्बे समय तक बैटरियों को चलाने का काम किया जा सकता है।
विद्युत का उत्पादन करने वाली अधिकतम तकनीकें करंट पैदा करने के लिए तार की एक कॉइल को चुम्बक के बीच से गुजारने से पैदा होती हैं लेकिन मानव निर्मित हीरे एक ऐसा चार्ज पैदा करते हैं जोकि किसी भी रेडियोएक्टिव स्रोत को पास रखने मात्र से पाया जा सकता है। हीरों में दोष होने के कारण उन्हें एक दीर्घकाल तक चलने वाली सूचनाओं की थैली के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। भले ही इसका दोषपूर्ण हिस्सा कुछेक नैनोमीटर का ही क्यों न हो।
इस तरह की रिसर्च से यह बात सामने आई है कि डाटा स्टोरेज के लिए अब असामान्य चीजों जैसे डीएनए या क्वार्टज का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आभूषण ही एक मात्र ऐसा स्थान नहीं हैं जहां पर हीरों का इस्तेमाल किया जाता है। न्यू यॉर्क के सिटी कॉलेज के सिद्धार्थ धोमकर और उनके साथी वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि मानवनिर्मित कृत्रिम हीरे डाटा स्टोर की समस्या से मुक्ति दिला सकते हैं। हीरों का इस तरह से उपयोग करने के लिए इनका कुछेक नैनोमीटर का खराब हिस्सा ही उपयोग में लाया जा सकता है।
चूंकि ऐसे हीरों का क्रिस्टललाइन स्ट्रक्चर दोषपूर्ण होता है और हीरों में पाए जाने वाले नाइट्रोजन वैकेंसी सेंटर्स में खाली स्थानों पर नाइट्रोजन के परमाणु होते हैं जबकि इन स्थानों पर कार्बन के परमाणु होने चाहिए। इन्हीं खाली स्थानों में इलेक्ट्रॉन्स पाए जाते हैं जिनमें निगेटिव चार्ज पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि जब इन खाली स्थानों को लेसर से हिट किया जाता है तो इनमें पाया जाने वाला चार्ज न्यूट्रल हो जाता है।
वैज्ञानिक इन्हीं खाली स्थानों को न्यूट्रल और निगेटिव चार्ज के सीक्वेंस से भर देते हैं जैसेकि सीडीज और डीवीडीज में डाटा को भर दिया जाता है। शोधकर्ताओं ने डाटा स्टोरेज के लिए छोटे-छोटे से गड्ढों का ठीक उसी तरह से इस्तेमाल किया जिस तरह से सीडी और डीवीडीज में डाटा भरा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक इतनी अधिक संभावनाशील है कि यह सब कुछेक नैनोमीटर चौड़े स्थान में ही किया जा सकता है।